पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ सोहराय पर्व का आयोजन
पाकुड़। पाकुड़ पॉलिटेक्निक कॉलेज में सोमवार को प्राकृतिक पर्व सोहराय पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मनाया गया। यह पर्व आदिवासी समुदाय की परंपराओं और प्रकृति से उनके गहरे जुड़ाव का प्रतीक है। कार्यक्रम की शुरुआत आदिवासी पुरोहित नाइकी और गुड़ित द्वारा पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार पूजा-अर्चना से हुई। पूजा के बाद, उत्सव का माहौल और भी जीवंत हो गया, जब कॉलेज के प्राचार्य डॉ. ऋषिकेश गोस्वामी और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी निखिल चंद्रा ने मंदार की थाप पर जमकर नृत्य किया।
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निदेशक ने प्रकृति संरक्षण का दिया संदेश
कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़कर कॉलेज के निदेशक आमिया रंजन बड़ाजेना ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “सोहराय पर्व हमें प्रकृति से जुड़ने और उसके संरक्षण का संदेश देता है।” यह पर्व प्रकृति की पूजा का प्रतीक है और हमें यह याद दिलाता है कि प्रकृति का अस्तित्व तभी संभव है जब हम इसका संरक्षण करें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रकृति के संरक्षण में शिक्षा का अहम योगदान होता है। उन्होंने कहा, “शिक्षा हमें प्रकृति के महत्व को समझने और उसके प्रति जागरूक होने में मदद करती है। हमें अपनी परंपराओं का सम्मान करना चाहिए और प्रकृति की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए।”
प्रकृति से जुड़ाव का पर्व
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गोस्वामी ने सोहराय पर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पर्व आदिवासी समुदाय के प्रकृति प्रेम और संरक्षण की परंपरा को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “आदिवासी समुदाय ने हमेशा से प्रकृति की रक्षा को प्राथमिकता दी है। सोहराय पर्व इस बात का प्रतीक है कि हमारे पूर्वजों ने प्रकृति को संरक्षित रखने के लिए इस परंपरा की शुरुआत की। हमें भी इस परंपरा को जीवित रखना चाहिए।”
प्राचार्य ने यह भी कहा कि आज की पीढ़ी को प्रकृति के महत्व और संरक्षण के प्रति जागरूक करना जरूरी है। उन्होंने कहा, “हमें आने वाली पीढ़ियों को शिक्षित करना होगा ताकि वे प्रकृति की रक्षा का महत्व समझ सकें और दूसरों को भी इसके प्रति जागरूक कर सकें।”
छात्र-छात्राओं और शिक्षकों की भागीदारी
कार्यक्रम में परीक्षा नियंत्रक अमित रंजन, सभी शिक्षकगण और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं शामिल हुए। शिक्षकों और छात्रों ने इस आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग लिया और इसे यादगार बनाया।
सोहराय पर्व का संदेश
सोहराय पर्व ने प्रकृति के साथ हमारे गहरे जुड़ाव और उसके संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को उजागर किया। इस आयोजन ने सभी को अपनी परंपराओं के महत्व और पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रेरित किया। पाकुड़ पॉलिटेक्निक कॉलेज का यह प्रयास प्रकृति के प्रति जागरूकता फैलाने और उसे संरक्षित रखने की दिशा में एक सराहनीय कदम है।