Wednesday, February 5, 2025
HomePakurलुत्फल हक ने दिखाया धार्मिक सौहार्द का उदाहरण, सरस्वती शिशु मंदिर के...

लुत्फल हक ने दिखाया धार्मिक सौहार्द का उदाहरण, सरस्वती शिशु मंदिर के निर्माण में देंगे आर्थिक सहयोग

देश प्रहरी की खबरें अब Google news पर

क्लिक करें

“एक ही तो दिल है, कितनी बार जीतोगे?” – यह डायलॉग लुत्फल हक के लिए सटीक बैठता है

“एक ही तो दिल है, कितनी बार जीतोगे?” – यह प्रसिद्ध डायलॉग साल 1970 में आई बॉलीवुड फिल्म ‘कटी पतंग’ का है, जो फिल्म की भावनात्मक गहराई और संघर्ष को दर्शाता है। लेकिन इस डायलॉग का इस्तेमाल यहां किसी फिल्मी किरदार के लिए नहीं, बल्कि पाकुड़ के जाने-माने समाजसेवी लुत्फल हक के लिए किया जा सकता है, जिन्होंने अपनी दरियादिली और उदारता से सभी का दिल जीत लिया है।

जाति-धर्म से ऊपर उठकर हर जरूरतमंद की मदद करने वाले समाजसेवी

लुत्फल हक न केवल अपने क्षेत्र में, बल्कि देश-विदेश तक अपनी समाजसेवा के लिए सम्मान प्राप्त कर चुके हैं। वे जाति-धर्म से ऊपर उठकर हर वर्ग के जरूरतमंद लोगों की आर्थिक सहायता करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। फिर चाहे किसी गरीब की सहायता करनी हो, शिक्षण संस्थानों, मंदिरों, मस्जिदों या मदरसों में आर्थिक सहयोग देना हो, वे कभी पीछे नहीं हटते। उनकी दरियादिली का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उनके दरवाजे से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता

सरस्वती शिशु मंदिर में भूमि पूजन में हुए शामिल

इसी सामाजिक सौहार्द की मिसाल कायम करते हुए समाजसेवी लुत्फल हक सोमवार को साहिबगंज जिले के कोटालपोखर स्थित ‘सरस्वती शिशु मंदिर’ पहुंचे। यह शिक्षण संस्थान पिछले 27-28 वर्षों से संचालित हो रहा है और यहां नए वर्ग कक्ष के निर्माण को लेकर भूमि पूजन का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में लुत्फल हक को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया

विज्ञापन

sai

शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में सराहनीय पहल

कार्यक्रम के दौरान शिशु मंदिर परिसर में विधिवत रूप से भूमि पूजन संपन्न हुआ। इस दौरान लुत्फल हक ने न केवल भूमि पूजन में भाग लिया, बल्कि दो नए वर्ग कक्ष के निर्माण के लिए आर्थिक सहयोग देने की भी घोषणा कर दी। उनके इस निर्णय से वहां मौजूद बच्चों और अभिभावकों में जबरदस्त खुशी देखने को मिली।

अभिभावकों और शिक्षकों ने व्यक्त किया आभार

सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य तुलसी प्रसाद मंडल, सचिव भवेश साह, अध्यक्ष जितेंद्र सिंह, संरक्षक मुनीलाल शर्मा, अशोक साह सहित सैकड़ों बच्चों और उनके अभिभावकों ने समाजसेवी लुत्फल हक के इस सहयोग के लिए आभार प्रकट किया

लुत्फल हक बोले – शिक्षा से ही समाज और देश का विकास संभव

कार्यक्रम में बोलते हुए लुत्फल हक ने शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “समाज और देश के विकास के लिए शिक्षा अत्यंत आवश्यक है। मेरी दिली इच्छा है कि समाज में शिक्षा को बढ़ावा मिले। इसके लिए हम सभी को मिलकर कार्य करना होगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि “सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य, सचिव और प्रबंध समिति के सभी पदाधिकारियों का मैं आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने मुझे शिक्षा के इस पवित्र स्थल पर अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। मुझे खुदा ने सेवा करने का मौका दिया है और मैं इसके लिए ऊपर वाले का शुक्रगुजार हूं।”

“जहां तक संभव होगा, शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग करता रहूंगा” – लुत्फल हक

लुत्फल हक ने कहा कि “मेरे पास जो भी लोग मदद की उम्मीद लेकर आते हैं, मैं जहां तक संभव हो, उनकी सहायता करने का प्रयास करता हूं। जब बात शिक्षा की आती है, तो मुझे और भी अधिक खुशी होती है। सरस्वती शिशु मंदिर के दो नए वर्ग कक्ष के निर्माण में मैं जितना संभव हो सकेगा, आर्थिक सहयोग दूंगा ताकि यहां पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई में किसी प्रकार की कठिनाई न हो।”

उन्होंने आगे कहा कि “अगर खुदा ने चाहा, तो भविष्य में भी मैं शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करता रहूंगा।”

सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य ने बताई स्कूल की स्थिति

इस अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य तुलसी प्रसाद मंडल ने विद्यालय की स्थापना और संघर्ष की कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि इस शिक्षण संस्थान की स्थापना साल 1997 में हुई थी। शुरुआती दिनों में भवन न होने के कारण सरकारी पुस्तकालय में पठन-पाठन कार्य चलता था। बाद में खपरैल का एक छोटा सा भवन बनाया गया, लेकिन आज भी विद्यालय को पक्के भवन की जरूरत महसूस हो रही है।

वर्ग कक्ष निर्माण के लिए लुत्फल हक ने तुरंत दी स्वीकृति

प्रधानाचार्य ने कहा, “हमने जब लुत्फल हक से मुलाकात कर विद्यालय की समस्या रखी और वर्ग कक्ष निर्माण के लिए आर्थिक सहयोग की मांग की, तो उन्होंने बिना कोई देरी किए तत्काल स्वीकृति दे दी। उनके इस निर्णय से विद्यालय प्रबंधन और अभिभावकों में खुशी की लहर दौड़ गई।”

उन्होंने आगे कहा, “मैंने लुत्फल हक के बारे में पहले भी सुना था, लेकिन जब पहली बार उनसे मिला, तो उनकी उदारता और दरियादिली को खुद अनुभव किया। एक ही अनुरोध पर उन्होंने सरस्वती शिशु मंदिर के लिए सहयोग देने की हामी भर दी। उनके आश्वासन के बाद ही भूमि पूजन का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।”

समाजसेवा का उत्कृष्ट उदाहरण बने लुत्फल हक

लुत्फल हक का यह कदम सिर्फ एक विद्यालय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए एक प्रेरणा है कि जाति-धर्म से ऊपर उठकर शिक्षा को प्राथमिकता दी जाए। उनकी पहल शिक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल बन गई है और समाज में धार्मिक सौहार्द का अद्भुत उदाहरण पेश किया है

“शिक्षा का मंदिर हो या इबादतगाह, मदद करने में नहीं रखते भेदभाव”

लुत्फल हक का मानना है कि चाहे कोई शिक्षण संस्थान हो, मंदिर हो, मस्जिद हो या मदरसा – जरूरतमंदों की मदद करना सबसे बड़ा धर्म है। वे हमेशा समाज की बेहतरी के लिए प्रयासरत रहते हैं और यही वजह है कि हर वर्ग के लोग उनका सम्मान करते हैं

“शिक्षा से ही होगा समाज का उत्थान” – लुत्फल हक

कार्यक्रम के अंत में लुत्फल हक ने कहा कि “अगर हमें समाज का उत्थान करना है, तो शिक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। मैं भविष्य में भी शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए जो भी संभव होगा, करूंगा।”

लुत्फल हक की दरियादिली का हर तरफ प्रशंसा

लुत्फल हक के इस निर्णय की हर तरफ सराहना हो रही है। उनके द्वारा किए गए सहयोग से शिशु मंदिर के बच्चों को बेहतर पढ़ाई का अवसर मिलेगा और शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा

उनका यह योगदान साबित करता है कि सच्ची समाजसेवा किसी धर्म, जाति या वर्ग की सीमा में बंधी नहीं होती, बल्कि यह एक सच्चे इंसानियत के पैगाम को आगे बढ़ाती है

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments