जिले में महिलाओं और बालिकाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा और जागरूकता प्रदान करने के उद्देश्य से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला “प्रोजेक्ट प्रारंभ” के तहत जिला प्रशासन एवं श्रमजीवी महिला समिति, जमशेदपुर के सहयोग से सूचना भवन सभागार में आयोजित की गई।
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और बालिकाओं को यौन उत्पीड़न की रोकथाम, सुरक्षा कानूनों, एवं उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना था। कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कार्यस्थल, सार्वजनिक स्थानों और अन्य सामाजिक क्षेत्रों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानूनी उपायों और सामाजिक जागरूकता पर विशेष बल दिया।
कार्यशाला का शुभारंभ और मुख्य अतिथि
कार्यशाला का शुभारंभ उपायुक्त मनीष कुमार, पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार, सिविल सर्जन डॉ. मंटू कुमार टेकरीवाल, जिला पंचायत राज पदाधिकारी प्रीतिलता मुर्मू, राष्ट्रीय महिला गठबंधन की विशाखा भांजा, श्रमजीवी महिला समिति की मुख्य कार्यकारिणी पुरबी पाल, परियोजना समन्वयक करिश्मा कालुंडिया एवं जुबीन एक्का द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
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इस दौरान उपस्थित अधिकारियों एवं विशेषज्ञों ने यौन उत्पीड़न की रोकथाम, कानूनी पहलुओं और समाज में जागरूकता बढ़ाने के विभिन्न पहलुओं पर विचार साझा किए।
यौन उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता जरूरी: उपायुक्त
कार्यशाला को संबोधित करते हुए उपायुक्त मनीष कुमार ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हो रहे यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है। उन्होंने बताया कि सही जानकारी और कानूनी साक्षरता के माध्यम से महिलाएं अपने अधिकारों की रक्षा कर सकती हैं।
उन्होंने कहा, “हमें समाज में जागरूकता लाने की आवश्यकता है, ताकि महिलाएं खुलकर अपनी बात रख सकें और उनके खिलाफ होने वाले किसी भी अन्याय को रोका जा सके। यह कानून इस तरह बनाया गया है कि हर व्यक्ति अपनी समस्याओं को बिना डर के सामने ला सके।”
यौन उत्पीड़न केवल महिलाओं तक सीमित नहीं: पुलिस अधीक्षक
पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने कार्यशाला में मौजूद महिलाओं को जागरूक करते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न केवल महिलाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पुरुषों के साथ भी हो सकता है। हालांकि, महिलाओं को अधिक असुरक्षित स्थिति में देखा जाता है और उन्हें अपनी शिकायत दर्ज कराने में कई प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कई बार महिलाएं सामाजिक डर और शर्म के कारण अपनी शिकायत दर्ज कराने से हिचकिचाती हैं, जिससे उत्पीड़न के मामलों में कमी नहीं आ पाती। उन्होंने सभी महिलाओं से अपील की कि अगर उनके साथ किसी भी प्रकार का उत्पीड़न होता है, तो वे बेझिझक प्रशासन और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से संपर्क करें।
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए POSH अधिनियम
राष्ट्रीय महिला गठबंधन की विशाखा भांजा ने कार्यस्थल पर होने वाले यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए “सुरक्षित कार्यस्थल” उनका संवैधानिक अधिकार है।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने “कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से महिलाओं का संरक्षण (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013” (POSH अधिनियम) लागू किया है, जिसके तहत हर संगठन/कंपनी को इस कानून का पालन करना आवश्यक है।
यह कानून सभी सरकारी, गैर-सरकारी, निजी कंपनियों, व्यवसायों और अन्य संस्थानों में कार्यरत महिलाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करता है और उनके लिए एक सुरक्षित एवं अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करता है।
सुरक्षित कार्यस्थल बनाने की दिशा में कदम
श्रमजीवी महिला समिति की मुख्य कार्यकारिणी पुरबी पाल ने कहा कि कार्यस्थल को सुरक्षित बनाने के लिए संस्थानों में आंतरिक समिति (IC) और जिला स्तर पर लोकल कमेटी (LC) का गठन करना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा, “कार्यस्थल पर सुरक्षा, विश्वास और ईमानदारी के मूल्यों को बनाए रखना जरूरी है। हर व्यक्ति को यौन उत्पीड़न से जुड़े कानूनों की जानकारी होनी चाहिए, ताकि कार्यस्थलों को सुरक्षित बनाया जा सके।”
अधिकारियों और विशेषज्ञों की मौजूदगी
इस कार्यशाला में सिविल सर्जन डॉ. मंटू कुमार टेकरीवाल, जिला पंचायत राज पदाधिकारी प्रीतिलता मुर्मू, कार्यपालक दंडाधिकारी क्रांति रश्मि, जिला शिक्षा पदाधिकारी अनीता पुरती, मंडल कारा के अधीक्षक, केकेएम कॉलेज पाकुड़ के प्राचार्य, रेलवे सुरक्षा बल के प्रभारी निरीक्षक, जवाहर नवोदय विद्यालय के प्राचार्य (महेशपुर एवं हिरणपुर), सीडब्ल्यूसी, पाकुड़ के पदाधिकारी एवं पीएमयू सेल के कर्मी समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
महिलाओं की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता
यह कार्यशाला महिलाओं और बालिकाओं के प्रति सुरक्षा और जागरूकता को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई। अधिकारियों और विशेषज्ञों ने महिलाओं से अपील की कि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनें, किसी भी प्रकार के उत्पीड़न का सामना करने से न डरें और कानूनों का लाभ उठाकर खुद को सुरक्षित रखें।
कार्यशाला का समापन महिलाओं के अधिकारों, सुरक्षा और सामाजिक जागरूकता को बढ़ाने के संकल्प के साथ किया गया।