पाकुड़: झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा), रांची के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA), पाकुड़ के तत्वावधान में 90 दिवसीय आउटरीच कार्यक्रम के तहत विभिन्न क्षेत्रों में कानूनी जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, DLSA, पाकुड़, शेष नाथ सिंह के निर्देश पर और सचिव अजय कुमार गुड़िया के मार्गदर्शन में उत्क्रमित मध्य विद्यालय, गंधाईपुर सहित अन्य क्षेत्रों में यह अभियान आयोजित किया गया।
बच्चों और महिलाओं को कानूनी अधिकारों की दी गई जानकारी
इस जागरूकता अभियान के तहत पारा लीगल वॉलंटियर (PLV) अमूल्य रत्न रविदास ने विद्यालय के छात्रों और स्थानीय लोगों को विभिन्न कानूनी अधिकारों और सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, बाल विवाह निषेध अधिनियम और कमजोर वर्गों के लिए मुफ्त कानूनी सहायता जैसे विषयों पर विस्तार से बताया।
छात्रों को यह बताया गया कि निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम (RTE Act, 2009) के तहत 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का अधिकार प्राप्त है और इसे सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। इसके अलावा, बाल विवाह निषेध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act, 2006) के तहत 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़कों का विवाह गैरकानूनी है।
महिलाओं और योग्य व्यक्तियों को मुफ्त कानूनी सहायता की जानकारी
कार्यक्रम के दौरान यह भी बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, जिला और तालुका स्तर पर कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है, ताकि वे न्याय प्राप्त कर सकें। महिलाएं, बच्चे, अनुसूचित जाति/जनजाति के लोग, वरिष्ठ नागरिक और दिव्यांगजन इस सेवा के लिए पात्र हैं। लोगों को यह भी बताया गया कि किसी भी प्रकार की कानूनी सहायता के लिए वे DLSA से संपर्क कर सकते हैं।
अन्य प्रखंडों में भी चलाया गया जागरूकता अभियान
90 दिवसीय आउटरीच कार्यक्रम के तहत सिर्फ गंधाईपुर ही नहीं, बल्कि अन्य प्रखंडों में भी व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य विभिन्न स्कूलों, सामुदायिक केंद्रों और पंचायत भवनों में जाकर स्थानीय नागरिकों को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी दे रहे हैं।
कानूनी साक्षरता बढ़ाने की दिशा में अहम कदम
यह जागरूकता अभियान सामाजिक न्याय और विधिक साक्षरता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके जरिए प्रशासन यह सुनिश्चित कर रहा है कि बच्चों, महिलाओं और कमजोर वर्गों को उनके अधिकारों की सही जानकारी मिले और वे किसी भी प्रकार के शोषण से बच सकें।
इस तरह के अभियान समाज के कमजोर और वंचित वर्गों को न्याय की मुख्यधारा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाते हैं और नागरिकों को उनके संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक करने का कार्य करते हैं।