सिद्धार्थ नगर में हुआ भव्य आयोजन, श्रद्धालुओं ने भगवान बुद्ध को अर्पित की पुष्पांजलि
पाकुड़ रेलवे कॉलोनी स्थित सिद्धार्थ नगर में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा पर श्रद्धा पूर्वक माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया गया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक, मोहल्ले वासी, सामाजिक कार्यकर्ता तथा राजनीतिक प्रतिनिधि शामिल हुए। इस आयोजन की अगुवाई निवर्तमान नगर परिषद अध्यक्ष सम्पा साहा ने की, जिनके नेतृत्व में सभी ने विश्व शांति, सामाजिक समरसता और मानव कल्याण के लिए प्रार्थना की।
भक्ति भाव से गुंजायमान हुआ सिद्धार्थ नगर, गूंजे बौद्ध मंत्रों के स्वर
पूरे कार्यक्रम के दौरान वातावरण में अध्यात्म और शांति की भावना स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रही थी। उपस्थित श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से “बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि” का उच्चारण करते हुए भगवान बुद्ध के सिद्धांतों को याद किया। यह उद्घोष केवल धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि एक नैतिक प्रतिज्ञा थी, जिससे उपस्थित जन समुदाय अहिंसा, करुणा और धर्मिक आचरण को अपने जीवन में उतारने का संकल्प ले रहा था।
गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति ने बढ़ाया कार्यक्रम का गौरव
इस अवसर पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पाकुड़ विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी अजहर इस्लाम, भाजपा के वरिष्ठ नेता हिसाबी राय, एवं अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। इनकी उपस्थिति ने आयोजन की गरिमा को और बढ़ा दिया।
अजहर इस्लाम ने दिया विस्तृत संबोधन – बुद्ध का जीवन आज भी प्रेरणा का स्रोत
अजहर इस्लाम ने अपने विस्तारपूर्वक और भावनात्मक संबोधन में कहा:
“बुद्ध पूर्णिमा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह मानवता, शांति, सामाजिक सुधार और धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है। भगवान गौतम बुद्ध का जन्म आज से लगभग 2,500 वर्ष पूर्व नेपाल के लुंबिनी वन में ईसा पूर्व 556 में हुआ था। उन्होंने उस कालखंड में जन्म लिया जब समाज अनेक प्रकार की कुरीतियों, अंधविश्वासों और जातिवाद से जूझ रहा था।
महात्मा बुद्ध ने उस अंधकारमय युग में प्रकाश की लौ जलायी। उन्होंने राजा होकर भी सुख-संपत्ति का त्याग कर सत्य की खोज में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका जीवन एक आत्मजागृति का संदेश है — उन्होंने न केवल आत्मज्ञान प्राप्त किया, बल्कि उस ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाया।
बुद्ध ने हमें सिखाया कि हम अपने जीवन को नैतिक मूल्यों, करुणा, मैत्री और धैर्य के साथ कैसे जी सकते हैं। आज जब दुनिया हिंसा, घृणा और असहिष्णुता के संकट से जूझ रही है, तब बुद्ध के विचार और भी अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं।
बुद्ध का यह संदेश कि ‘अप्प दीपो भव’ यानी ‘स्वयं दीपक बनो’, युवाओं को आत्मनिर्भर बनने और अपने विवेक के आधार पर सही निर्णय लेने की प्रेरणा देता है।
मैं युवाओं से अपील करता हूँ कि वे भगवान बुद्ध के धम्म मार्ग पर चलें, समाज में समानता, न्याय, और शांति की स्थापना करें। बुद्ध का मार्ग किसी धर्म विशेष तक सीमित नहीं, बल्कि समूची मानवता का मार्गदर्शक है।”
अजहर इस्लाम ने यह भी कहा कि यदि हम समाज से छुआछूत, जातिवाद, और भेदभाव को मिटाना चाहते हैं, तो हमें बुद्ध के बताए आठ अष्टांगिक मार्ग को अपनाना होगा, जो है – सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्म, सम्यक आजीविका, सम्यक प्रयास, सम्यक स्मृति, और सम्यक समाधि।
सम्पा साहा ने बुद्ध के संदेश को बताया समाज का मार्गदर्शन
निवर्तमान नगर परिषद अध्यक्ष सम्पा साहा ने कहा कि बुद्ध पूर्णिमा केवल पर्व नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अवसर है जो हमें आत्मनिरीक्षण, ज्ञान और शांति की ओर अग्रसर करता है। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के विचारों को विद्यालयों में पढ़ाया जाना चाहिए ताकि हमारी नई पीढ़ी सच्चे अर्थों में नैतिक और उदार नागरिक बन सके।
स्थानीय लोगों की उत्साही भागीदारी बनी आयोजन की सफलता की कुंजी
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों की संख्या और उनकी भागीदारी ने यह सिद्ध किया कि भगवान बुद्ध के प्रति श्रद्धा और आदर लोगों के हृदय में गहराई से रचा-बसा है। प्रमुख उपस्थितजनों में सुशील साहा, रूपेश मंडल, मुरारी मंडल, अनिकेत गोस्वामी, अशोक प्रसाद, पिन्टू हाजरा, मनोरमा देवी, श्याम पोद्दार, मिथिलेश मंडल, अर्चना पोद्दार, अल्पना मुखर्जी, संजीत मुखर्जी, मनीष कुमार पांडेय, रणजीत राम, सादेकुल आलम, हरि नारायण साह, धर्मेंद्र साह, राजेश डोकानियां, सादेकुल शेख, संगीता साहा, रिंकू दास, मंगली दास, रेखा रजक, सावित्री राय, जीतू सिंह, अमित साहा, मधुसूदन साह, पुर्णेदु गांगुली, बहादुर मंडल, भुटू कुनाई, और कन्हैया रजक प्रमुख रहे।
कार्यक्रम ने दिया सामाजिक एकता और सांस्कृतिक चेतना का संदेश
बुद्ध पूर्णिमा पर आयोजित यह कार्यक्रम केवल धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह एक सामाजिक संवाद, संस्कृतिक चेतना और आध्यात्मिक समागम का अवसर बन गया। लोगों ने मिलकर यह संकल्प लिया कि वे बुद्ध के आदर्शों पर चलकर समाज में शांति, प्रेम और सद्भावना को बढ़ावा देंगे।