झालसा के निर्देश पर हुआ लोक अदालत का आयोजन
पाकुड़। झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा), रांची के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़ के तत्वावधान में मासिक लोक अदालत का आयोजन किया गया। यह लोक अदालत प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़ — शेष नाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई। कार्यक्रम का उद्देश्य था वादों का शीघ्र, सौहार्दपूर्ण और समाधानात्मक निपटारा, जिससे पक्षकारों को त्वरित न्याय मिल सके।
लोक अदालत में नौ बेंचों का गठन, 57 मामलों का निष्पादन
इस मासिक लोक अदालत के दौरान कुल 9 बेंचों का गठन किया गया, जिनमें विभिन्न प्रकृति के मामलों की सुनवाई हुई। संपत्ति विवाद, पारिवारिक विवाद, बैंक ऋण, मोटर दुर्घटना दावे, बिजली बिल विवाद जैसे मामलों को प्राथमिकता के आधार पर लिया गया। इन सभी बेंचों द्वारा कुल 57 वादों का निष्पादन शांतिपूर्ण ढंग से किया गया, जो लोक अदालत की उपयोगिता को दर्शाता है।
प्रमुख न्यायिक अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर पाकुड़ न्यायालय के वरिष्ठ न्यायिक पदाधिकारीगण उपस्थित रहे, जिन्होंने अपने अनुभव और मार्गदर्शन से लोक अदालत को सफल बनाया। प्रमुख उपस्थित अधिकारियों में शामिल थे:
- प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह
- प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय सुधांशु कुमार शशि
- अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम, कुमार क्रांति प्रसाद
- मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, संजीत कुमार चंद्रा
- जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव, रूपा बंदना किरो
- अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, विशाल मांझी
- अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी, सदिश उज्ज्वल बेक
- प्रभारी न्यायाधीश, विजय कुमार दास
इन सभी अधिकारियों की संयुक्त उपस्थिति और समर्पण भाव से किए गए कार्य ने लोक अदालत को सफल और प्रभावशाली बनाया।
पक्षकारों की रही सक्रिय भागीदारी
लोक अदालत में वादियों और प्रतिवादियों की सक्रिय सहभागिता देखने को मिली। सभी पक्षकारों ने लोक अदालत के महत्व को समझते हुए आपसी सहमति और समाधान की भावना के साथ न्याय प्रक्रिया में सहयोग किया। इससे यह स्पष्ट हुआ कि सुलह-सफाई से किया गया समाधान, दीर्घकालीन अदालती प्रक्रियाओं से बेहतर होता है।
न्यायिक बोझ में कमी और समय की बचत
लोक अदालतों के माध्यम से विवादों का समाधान ना केवल पक्षकारों के लिए लाभकारी होता है, बल्कि इससे अदालती बोझ में भी उल्लेखनीय कमी आती है। इससे न्यायिक व्यवस्था को गति मिलती है और आम जन को शीघ्र न्याय उपलब्ध हो पाता है। यह कार्यक्रम सस्ता, सरल और समयबद्ध न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है।
📌 लोक अदालत बनी जनसाधारण के लिए न्याय का सहज माध्यम
पाकुड़ जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा आयोजित यह मासिक लोक अदालत जनसाधारण को शीघ्र और प्रभावशाली न्याय उपलब्ध कराने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। इसमें न केवल मामलों का समाधान हुआ, बल्कि लोगों के बीच न्यायिक जागरूकता और विधिक समझ भी बढ़ी।
लोक अदालतें आज के समय में वैकल्पिक विवाद निपटान प्रणाली का अहम स्तंभ बन चुकी हैं। भविष्य में ऐसे और भी आयोजन हों, जिससे “न्याय सबके लिए और समय पर” का उद्देश्य पूर्ण रूप से साकार हो सके।