90 दिवसीय मध्यस्थता अभियान को सफल बनाने की दिशा में कदम
झालसा रांची के निर्देशानुसार पाकुड़ जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा 90 दिवसीय मध्यस्थता अभियान को प्रभावशाली और परिणामकारी बनाने हेतु एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष शेष नाथ सिंह के मार्गदर्शन में संचालित हो रहा है, जिसकी अगली कड़ी के रूप में जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव रूपा बंदना किरो की अध्यक्षता में रेफरल न्यायाधीशों और मध्यस्थ अधिवक्ताओं के बीच यह महत्वपूर्ण बैठक सह प्रशिक्षण आयोजित की गई।
मध्यस्थता प्रक्रिया के विविध पहलुओं पर विस्तृत चर्चा
इस विशेष प्रशिक्षण सत्र के दौरान मध्यस्थता प्रक्रिया से जुड़े तकनीकी, व्यवहारिक और कानूनी बिंदुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। न्यायिक प्रणाली में मध्यस्थता की प्रासंगिकता, उसके विभिन्न चरणों और उसकी प्रभावशीलता को रेखांकित करते हुए यह बताया गया कि कैसे यह प्रक्रिया मामलों के शीघ्र निपटारे और पक्षकारों की संतुष्टि के लिए लाभकारी साबित हो सकती है।
रेफरल मामलों की प्रक्रिया और उनके महत्व पर विशेष ध्यान
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि रेफरल जजों की भूमिका किस प्रकार न्याय प्रणाली में मध्यस्थता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण है। रेफरल मामलों की पहचान, उनका सुनियोजित रूप से मध्यस्थता में रूपांतरण तथा मामले को समाधान की ओर ले जाना – ये सभी प्रक्रियाएं विस्तारपूर्वक बताई गईं। यह भी स्पष्ट किया गया कि अधिक से अधिक विवादों को आपसी समझौते के आधार पर सुलझाने के लिए न्यायिक अधिकारियों को सकारात्मक और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
दिशा-निर्देश और सहभागिता ने बढ़ाई कार्यशाला की उपयोगिता
कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे मध्यस्थ अधिवक्ताओं और रेफरल न्यायाधीशों को इस दिशा में व्यवहारिक सुझाव, नए दिशा-निर्देश, और प्रेरणात्मक उदाहरणों के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया। उन्हें यह बताया गया कि मध्यस्थता प्रक्रिया को कैसे निष्पक्ष, पारदर्शी और प्रभावशाली बनाया जा सकता है ताकि आम जनता का न्यायिक व्यवस्था पर विश्वास और भी मजबूत हो।
वरिष्ठ न्यायिक पदाधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सदिश उज्जवल बेक, तथा प्रभारी न्यायाधीश विजय कुमार दास सहित अनेक मध्यस्थ अधिवक्ता उपस्थित रहे। इन सभी पदाधिकारियों ने अपने अनुभवों और विचारों को साझा करते हुए प्रशिक्षण को और भी व्यावहारिक और उपयोगी बना दिया।
समापन विचार: न्याय तक आसान पहुँच की दिशा में एक सार्थक पहल
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम मध्यस्थता को न्यायिक प्रक्रिया का सशक्त विकल्प बनाने की दिशा में एक सकारात्मक और दूरदर्शी प्रयास था। ऐसे आयोजनों से स्पष्ट होता है कि पाकुड़ जिला विधिक सेवा प्राधिकार आमजन तक सुलभ और त्वरित न्याय पहुंचाने के लिए लगातार प्रयासरत है। आने वाले समय में यह अभियान न्यायिक सुधारों की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।