Thursday, September 11, 2025
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भाजपा का आक्रोश प्रदर्शन: सूर्या हांसदा हत्या की CBI जांच और नगड़ी की जमीन वापस दिलाने की मांग

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अटल चौक से सिदो-कान्हु पार्क तक आक्रोश मार्च

पाकुड़। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जिलाध्यक्ष अमृत पाण्डेय के नेतृत्व में शुक्रवार को विशाल आक्रोश प्रदर्शन आयोजित किया गया। इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता सूर्या हांसदा की हत्या की सीबीआई जांच की मांग करना तथा नगड़ी के आदिवासी रैयतों की जमीन, जिसे रिम्स-2 के नाम पर अधिग्रहित किया जा रहा है, उसे किसानों को वापस दिलाना था।
प्रदर्शनकारी अटल चौक से लेकर सिदो-कान्हु मुर्मू पार्क तक जुलूस की शक्ल में नारेबाजी करते हुए आगे बढ़े।


राज्यपाल के नाम सौंपा गया ज्ञापन

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आक्रोश प्रदर्शन के बाद भाजपा जिलाध्यक्ष अमृत पाण्डेय के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने महामहिम राज्यपाल के नाम ज्ञापन अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ), पाकुड़ को सौंपा।
ज्ञापन में स्पष्ट कहा गया कि झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पूरी तरह से भ्रष्ट, निकम्मी और संवेदनहीन हो चुकी है। राज्य की कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गई है और अपराधियों, माफियाओं तथा दलालों ने पूरे सरकारी तंत्र को अपने कब्जे में ले लिया है।


भाजपा जिलाध्यक्ष का सरकार पर गंभीर आरोप

अमृत पाण्डेय ने कहा कि राज्य में हत्या, लूट, बलात्कार और डकैती जैसे 5000 से अधिक गंभीर आपराधिक मामले प्रतिमाह दर्ज हो रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के विरोध करने वाले सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को धमकियों, फर्जी मुकदमों, फिरौती और यहां तक कि हत्या का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने विशेष रूप से कहा कि हाल ही में संथाल परगना के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता सूर्या हांसदा को राज्य पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर में मौत के घाट उतार दिया।


सूर्या हांसदा की हत्या पर भाजपा का सवाल

भाजपा नेताओं ने कहा कि सूर्या हांसदा पर किसी भी प्रकार का वारंट लंबित नहीं था। वे कुल 14 मुकदमों में बरी हो चुके थे, 5 मामलों में उन्हें जमानत मिल चुकी थी। इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें अपराधी बताकर घर से उठाया, टॉर्चर किया और गोली मार दी।
भाजपा का आरोप है कि यह सीधा-सीधा हत्या का मामला है, जिसे पुलिस एनकाउंटर का रूप देने की कोशिश कर रही है। इतना ही नहीं, मीडिया को भी इस घटना की झूठी जानकारी दी गई।
भाजपा की मांग है कि इस पूरी घटना की जांच सीबीआई से कराई जाए, ताकि सच सामने आ सके।


नगड़ी के रैयतों की जमीन का मुद्दा

प्रदर्शन के दौरान नगड़ी की जमीन का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाया गया।
भाजपा जिलाध्यक्ष ने बताया कि इस जमीन को 1955 में बिहार सरकार ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के लिए अधिग्रहित करने का प्रयास किया था, लेकिन आदिवासियों के प्रबल विरोध के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री ने स्वयं नगड़ी जाकर जमीन नहीं लेने की घोषणा की थी।
बाद में 2012 में झारखंड सरकार ने एक बार फिर अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की, मगर उस समय भी आदिवासी रैयतों के विरोध के बाद यह प्रक्रिया रोक दी गई। इसके बावजूद, अब रिम्स-2 के नाम पर किसानों की जमीन हड़पने की कोशिश की जा रही है।
भाजपा ने इसे आदिवासियों की खुली लूट बताया और राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की।


भाजपा का आरोप: अबुआ राज में आदिवासी असुरक्षित

भाजपा जिलाध्यक्ष ने कहा कि अबुआ राज का नारा देने वाली हेमंत सरकार में आदिवासी लूटे भी जा रहे हैं और पीटे भी जा रहे हैं।
राज्य में हत्या और बलात्कार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं।
भाजपा ने कहा कि वे इन मुद्दों को लेकर सड़क से लेकर सदन तक लगातार आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार पूरी तरह से अनसुनी कर रही है।


राज्यपाल से भाजपा की दो प्रमुख मांगें

ज्ञापन के माध्यम से भाजपा ने महामहिम राज्यपाल से दो प्रमुख मांगें रखीं—

  1. सूर्या हांसदा की हत्या की सीबीआई जांच कराई जाए।
  2. नगड़ी के रैयतों की जमीन किसानों को वापस दिलाने हेतु राज्य सरकार को निर्देशित किया जाए।

भाजपा ने कहा कि राज्यपाल राज्य के संवैधानिक प्रमुख और साढ़े तीन करोड़ जनता के अभिभावक हैं। ऐसे में यह उनकी जिम्मेदारी बनती है कि इन दोनों गंभीर मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई करें।


प्रदर्शन में कई नेता और कार्यकर्ता शामिल

इस आक्रोश प्रदर्शन में बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता और नेता मौजूद रहे।
इसमें प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अनुग्रहित प्रसाद साह, जिला महामंत्री रूपेश भगत, दादपुर मंडल अध्यक्ष सुशांत घोष, युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष दीपक साह, गांधाईपुर मंडल अध्यक्ष मनोरंजन सरकार, सपन दुबे, पूर्व जिलाध्यक्ष विवेकानंद तिवारी, पार्थ रक्षित, पूर्व मंत्री शर्मीला रजक, जिला उपाध्यक्ष धर्मेंद्र त्रिवेदी, हिसाबी राय, नगर अध्यक्ष सोहन मंडल, युवा मोर्चा नगर अध्यक्ष रतन भगत, पंकज कुमार साह, अश्वनी झा, त्रिलोचन दास, जीतू सिंह, चमरू रजवार, निर्मल दास, मोहन मंडल, अक्षय कुमार पाण्डेय समेत कई कार्यकर्ता शामिल हुए।


यह पूरा आंदोलन भाजपा द्वारा झारखंड सरकार पर सीधा हमला माना जा रहा है, जिसमें सूर्या हांसदा की हत्या और नगड़ी की जमीन का मुद्दा केंद्र में है।

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