कुटुंब न्यायालय में हुआ सौहार्दपूर्ण समझौता
पाकुड़। कुटुंब न्यायालय में चल रहे एक विवादास्पद मामले का अंत आखिरकार सौहार्द और समझौते के साथ हुआ।
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह प्रभारी प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय शेष नाथ सिंह की मौजूदगी में भरण-पोषण वाद संख्या 153/2025 मुस्कान खातून बनाम कुतुबुदीन अंसारी का निपटारा मध्यस्थता के माध्यम से हुआ।
पति-पत्नी में टूटा विवाद, बढ़ा अपनापन
लंबे समय से चले आ रहे विवाहिक विवाद के बाद जब मामला अदालत पहुँचा, तो दोनों पक्षों में दूरियां बढ़ी हुई थीं। लेकिन न्यायालय में हुई मध्यस्थता के दौरान दोनों ने अपनी बात शांतिपूर्वक रखी और एक-दूसरे की भावनाओं को समझते हुए आपसी सहमति से मामले को खत्म करने का निर्णय लिया।
अदालत में पहनाई गई माला, रिश्ते को दिया नया जीवन
सुलह समझौते के बाद अदालत परिसर का माहौल भावुक हो गया।
मुस्कान खातून और कुतुबुदीन अंसारी ने एक-दूसरे को माला पहनाकर अपने रिश्ते को पुनर्जीवित किया और यह वादा किया कि अब वे साथ मिलकर जीवन की नई शुरुआत करेंगे। इस दृश्य को देखकर अदालत में मौजूद लोग भी गदगद हो उठे।
न्यायालय की पहल बनी मिसाल
इस समझौते की सबसे खास बात यह रही कि यह पूरी प्रक्रिया मध्यस्थता के जरिए पूरी हुई।
न्यायालय ने अपने प्रयासों से एक बिखरते परिवार को दोबारा जोड़ा। इस तरह का समझौता न सिर्फ दोनों परिवारों के लिए राहत भरा है, बल्कि समाज के लिए भी एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
अधिवक्ताओं की रही अहम भूमिका
इस मौके पर दोनों पक्षों के संबंधित अधिवक्ता भी मौजूद रहे। अधिवक्ताओं ने भी समझौते की प्रक्रिया में सकारात्मक भूमिका निभाई और पति-पत्नी को रिश्ते को बचाने के लिए प्रेरित किया।
इस तरह कुटुंब न्यायालय में हुई सफल मध्यस्थता ने यह साबित किया कि संवाद और समझौते से बड़े से बड़ा विवाद सुलझाया जा सकता है और टूटते रिश्तों को भी नई उम्मीद दी जा सकती है।