कुटुंब न्यायालय में हुआ सफल सुलह समझौता
पाकुड़ के कुटुंब न्यायालय में आज एक महत्वपूर्ण पहल देखने को मिली, जब दो अलग-अलग दंपति के बीच लंबे समय से चल रहे विवादों का समाधान मध्यस्थता के जरिए सौहार्दपूर्ण माहौल में हुआ। यह सुलह केवल कानूनी प्रक्रिया तक सीमित नहीं रही, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक दृष्टि से भी एक मिसाल बन गई।
न्यायाधीश की देखरेख में हुई मध्यस्थता
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह प्रभारी प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय शेष नाथ सिंह की देखरेख में भरण-पोषण वाद संख्या 192/2025 और 210/2025 से जुड़े मामलों की सुनवाई हुई। दोनों मामलों में पति-पत्नी के बीच लंबे समय से मनमुटाव और विवाद चल रहा था। अदालत के समक्ष जब मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू हुई, तो दोनों पक्षों ने धैर्यपूर्वक एक-दूसरे की बात सुनी और अंततः समझौते के रास्ते पर आने के लिए सहमति जताई।
माला पहनाकर जताया साथ निभाने का संकल्प
सुलह समझौते के आधार पर दोनों दंपतियों ने आपसी मतभेदों को भुलाकर एक-दूसरे को माला पहनाई और साथ रहने का वादा किया। इस भावुक पल ने अदालत कक्ष को भी भावनाओं से भर दिया। न्यायालय में मौजूद अधिवक्ताओं और अन्य लोगों ने इस क्षण को एक सकारात्मक और प्रेरणादायी पहल के रूप में देखा।
अधिवक्ताओं की मौजूदगी में बनी सहमति
इस दौरान दोनों मामलों से संबंधित अधिवक्ता भी मौजूद रहे और उन्होंने अपने मुवक्किलों को समझाने और आपसी सहमति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अधिवक्ताओं ने कहा कि अदालत की मध्यस्थता प्रक्रिया से कई बार ऐसे परिणाम निकलते हैं जो न केवल दंपतियों बल्कि पूरे परिवार और समाज के लिए सुखद साबित होते हैं।
परिवार और समाज के लिए मिसाल
आज हुई यह सुलह इस बात का प्रमाण है कि अगर संवाद और समझौते की भावना के साथ आगे बढ़ा जाए, तो कठिन से कठिन रिश्ते भी सुधर सकते हैं। न्यायालय की यह पहल उन दंपतियों के लिए प्रेरणा है, जो विवादों के चलते अलगाव की ओर बढ़ रहे हैं।