शिक्षा जगत में गहरा शोक
पाकुड़। जिले के वरिष्ठ शिक्षाविद, विद्वान प्रोफेसर और होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. कृपाशंकर अवस्थी का शुक्रवार को निधन हो गया। उनके स्वर्गवासी होने की खबर से शिक्षा जगत, सामाजिक क्षेत्र और बुद्धिजीवी वर्ग में गहरा शोक फैल गया। वे अपने शांत, सरल और मृदुभाषी स्वभाव के लिए सदैव याद किए जाएंगे।
अंगिका समाज ने दी श्रद्धांजलि
अंगिका समाज, अंग, पाकुड़ के कार्यालय में सोमवार, 15 सितंबर 2025 को शाम 7:30 बजे श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुई। शहर के बुद्धिजीवी वर्ग, समाजसेवी और अंगिका समाज के पदाधिकारीगण इस अवसर पर एकत्र हुए। सभी ने दो मिनट का मौन रखकर उनके प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की और उनके व्यक्तित्व एवं योगदान को याद किया।
शिक्षण जीवन की उपलब्धियाँ
डॉ. अवस्थी का शिक्षण जीवन के.के.एम. महाविद्यालय, पाकुड़ से जुड़ा रहा। उन्होंने विद्यार्थियों को केवल पाठ्यक्रम की पढ़ाई ही नहीं कराई, बल्कि चरित्र निर्माण, अनुशासन और मानवीय मूल्यों पर भी विशेष ध्यान दिया। सहकर्मी शिक्षकों के अनुसार वे सख्त अनुशासनप्रिय, किंतु स्नेही शिक्षक थे।
2019 में वे सहायक उपप्राचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए। इस दौरान उन्होंने हजारों छात्रों को शिक्षा दी, जिनमें से कई आज प्रशासनिक पदों और अन्य जिम्मेदार स्थानों पर कार्यरत हैं।
समाजसेवा और चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान
सेवानिवृत्ति के बाद डॉ. अवस्थी ने स्वयं को पूरी तरह सामाजिक कार्यों और चिकित्सा सेवा में समर्पित कर दिया। वे होम्योपैथिक चिकित्सा के जानकार थे और बिना किसी आर्थिक लाभ की अपेक्षा किए, लोगों की सेवा करते रहे।
उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि गरीब और अमीर में कभी भेदभाव नहीं करते थे। मजदूर से लेकर प्रतिष्ठित नागरिक तक—सभी के दर्द और बीमारी का इलाज नि:शुल्क करते थे।
प्रेरणादायी जीवनशैली
डॉ. अवस्थी स्वयं सात्विक और संतुलित जीवनशैली अपनाते थे। वे पैदल चलने के महत्व पर हमेशा जोर देते और दूसरों को भी ऐसा करने की सलाह देते थे। वे पुस्तक प्रेमी थे और नियमित रूप से नई किताबें खरीदकर अध्ययन करते रहते थे।
उनकी यह आदत बताती है कि वे जीवन के अंतिम क्षणों तक ज्ञानार्जन और आत्मविकास में लगे रहे।
लेखनी और बौद्धिक योगदान
शिक्षण और चिकित्सा के साथ-साथ उनकी लेखनी भी सक्रिय रही। उन्होंने होम्योपैथिक चिकित्सा पर एक पुस्तक तैयार की है, जो वर्तमान में प्रेस में है और शीघ्र ही प्रकाशित होगी। यह पुस्तक न केवल चिकित्सा जगत के लिए बल्कि आमजन के लिए भी मार्गदर्शन का स्रोत बनेगी।
व्यक्तिगत प्रसंग और मानवीय पहलू
उनके विद्यार्थी अक्सर याद करते हैं कि जब भी वे परीक्षा के समय तनाव में होते, तो डॉ. अवस्थी उनसे कहते—
“अध्ययन केवल अंक प्राप्त करने के लिए मत करो, बल्कि अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए करो।”
कई लोगों ने बताया कि उन्होंने बीमार मजदूरों और गरीब परिवारों को दवाइयाँ खुद खरीदकर उपलब्ध कराईं। उनकी यही मानवीय संवेदनशीलता उन्हें औरों से अलग करती थी।
श्रद्धांजलि देने पहुंचे गणमान्य
श्रद्धांजलि सभा में अनेक गणमान्य उपस्थित रहे। इनमें अंगिका समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष भागीरथ तिवारी, अध्यक्ष डॉ. मनोहर कुमार, कोषाध्यक्ष कैलाश झा, सचिव संजय शुक्ला, संजय कुमार चौबे, महादेव घोष, डॉ. अशोक साहा, विपिन कुमार चौधरी, अरुण कुमार सिंह, अमन ठाकुर, हीरा केवट, रामजी हाजरा, कृष्ण रविदास और गब्रियल मुर्मू प्रमुख रूप से शामिल थे। सभी ने कहा कि उनका जाना पाकुड़ के लिए अपूरणीय क्षति है।
एक प्रेरणा, जो सदैव जीवित रहेगी
डॉ. कृपाशंकर अवस्थी का जीवन हमें यह सिखाता है कि ज्ञान, सेवा और विनम्रता से व्यक्ति समाज में अमर स्थान प्राप्त कर सकता है। उनकी शिक्षाएँ और कार्य हमेशा नई पीढ़ी को प्रेरित करते रहेंगे।