कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से
पाकुड़। झालसा रांची के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़ के तत्वाधान में मंडल कारा परिसर में जेल अदालत सह मेडिकल कैंप एवं विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़ शेष नाथ सिंह, अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कुमार क्रांति प्रसाद, जेलर दिलीप कुमार एवं चिकित्सक डॉ. एस.के. झा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।
कैदियों को दिया आत्ममंथन का संदेश
विधिक जागरूकता सत्र के दौरान जेल सभागार में मौजूद पुरुष कैदियों को संबोधित करते हुए एडीजे कुमार क्रांति प्रसाद ने कहा कि कैदी अपने जीवन का आत्ममंथन करें और यह विचार करें कि वे किन कारणों से यहां पहुंचे हैं। उन्होंने कैदियों से अपील की कि वे अपने अंदर सकारात्मक बदलाव लाएं और भविष्य में गलतियों को न दोहराएं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि न्यायालय का काम साक्ष्य और अभिलेखों के आधार पर निर्णय देना है, न कि व्यक्तिगत भावनाओं के आधार पर। इसलिए कैदियों को अपने मामलों में सही तथ्यों और प्रमाणों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
त्वरित न्याय और अधिवक्ताओं से अपील
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह ने कैदियों से संवाद करते हुए सबसे पहले यह जानना चाहा कि क्या किसी कैदी के पास अधिवक्ता उपलब्ध नहीं है। मौके पर सभी कैदियों ने अधिवक्ता होने की बात कही।
उन्होंने यह आश्वासन दिया कि एक वर्ष से अधिक पुराने मामलों का त्वरित निष्पादन प्राथमिकता पर किया जाएगा, ताकि कैदियों को शीघ्र न्याय मिल सके।
साथ ही, उन्होंने अधिवक्ताओं से मीडिया के माध्यम से अपील की कि जिन मामलों में बहस का चरण शेष है, वे जल्द से जल्द बहस पूरी करें, ताकि वाद का शीघ्र निपटारा संभव हो सके।
कैदियों के पुनर्वास पर जोर
अपने संबोधन में न्यायाधीश ने कैदियों को मानव गरिमा बनाए रखते हुए जेल में रहने की सलाह दी और कहा कि हर संभव सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
उन्होंने कैदियों को कौशल विकास, पढ़ाई-लिखाई और मानसिक उन्नति से जुड़ने का आग्रह किया। इससे वे जेल से बाहर आने के बाद समाज में सम्मानजनक जीवन जी सकेंगे और आर्थिक एवं बौद्धिक विकास हासिल कर सकेंगे।
ई-सेवा केंद्र से गरीब परिवारों को राहत
न्यायाधीश ने हाल ही में व्यवहार न्यायालय परिसर में शुरू किए गए ई-सेवा केंद्र का उल्लेख किया और कहा कि इसके माध्यम से गरीब परिवार अपने कैदी परिजनों से निःशुल्क मुलाकात कर सकेंगे।
यह सेवा न्याय तक पहुंच को सरल और सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
महिला और पुरुष वार्ड का निरीक्षण
कार्यक्रम के अंतर्गत न्यायाधीश ने जेल के महिला एवं पुरुष वार्डों का निरीक्षण किया।
उन्होंने कैदियों की समस्याएं सुनीं और योग्य बंदियों को निःशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।
महिला कैदियों एवं उनके बच्चों को मिठाई और चॉकलेट के पैकेट वितरित किए गए।
साथ ही, डीएलएसए पाकुड़ की ओर से कानूनी सहायता, जमानती मामलों की पैरवी और संबंधित मुद्दों पर विस्तृत जानकारी दी गई।
मेडिकल कैंप और स्वास्थ्य जांच
कार्यक्रम के दौरान जेल अस्पताल की व्यवस्था की समीक्षा की गई।
कैदियों के डाइट चार्ट का निरीक्षण चिकित्सकों की उपस्थिति में किया गया और स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता पर चर्चा हुई।
न्यायाधीश की उपस्थिति में महिला बंदियों का बीपी, शुगर एवं अन्य जांच की गई और आवश्यकतानुसार दवाइयां दी गईं।
पुरुष कैदियों, विशेषकर 60 वर्ष से अधिक आयु के बंदियों का भी स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।
स्वच्छता और जिम्मेदारी पर बल
जेल परिसर की सफाई व्यवस्था को लेकर जेल प्रशासन को आवश्यक निर्देश दिए गए।
सभी लीगल एड डिफेंस काउंसिल (LADC) अधिवक्ताओं को अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से निभाने और मामलों का शीघ्र निष्पादन सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया।
कार्यक्रम में शामिल हुए गणमान्य लोग
इस अवसर पर अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कुमार क्रांति प्रसाद, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सह प्रभारी सचिव विशाल मांझी, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सदिश उज्जवल बेक, प्रभारी न्यायाधीश विजय कुमार दास,
पुरुष कारा चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एस.के. झा, महिला कारा चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. स्नेहा श्रुति,
डिप्टी चीफ LADC, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के कर्मी, पैनल अधिवक्ता, लीगल एड डिफेंस काउंसिल अधिवक्ता एवं पैरा लीगल वॉलंटियर्स उपस्थित रहे।
👉 यह कार्यक्रम कैदियों के लिए न्याय, स्वास्थ्य और पुनर्वास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ।