गांधी जयंती के अवसर पर विशेष दौरा
पाकुड़ – गांधी जयंती के अवसर पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़, शेष नाथ सिंह ने सोनाजोड़ी स्थित वृद्धाश्रम का दौरा किया। इस अवसर पर न्यायाधीश ने वृद्धों से मुलाकात कर उनकी भलाई और स्वास्थ्य की जानकारी ली। उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि वृद्धजन परिवार की अनुपस्थिति में भी अकेले महसूस न करें और उन्हें स्नेह, सुरक्षा और सामाजिक सहयोग मिले।
बुजुर्गों के लिए मिठाई और स्वास्थ्य जांच
दौरे के दौरान न्यायाधीश ने वृद्धों को मिठाई के पैकेट वितरित किए, ताकि वे खुशी और सम्मान का अनुभव कर सकें। साथ ही, उन्होंने वृद्धाश्रम की व्यवस्थाओं और स्वास्थ्य सुविधाओं का भी निरीक्षण किया। बुजुर्गों के नियमित हेल्थ चेकअप और आवश्यक इलाज को लेकर न्यायाधीश ने स्पष्ट निर्देश दिए, जिससे वृद्धों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की गारंटी सुनिश्चित की जा सके।
पैरा लीगल वॉलिंटियर्स को निर्देश
इस मौके पर पैरा लीगल वॉलिंटियर्स को निर्देशित किया गया कि वृद्धों को किसी भी प्रकार की समस्या होने पर तत्काल निदान और समाधान किया जाए। इस पहल से यह सुनिश्चित होगा कि वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों की सामाजिक, स्वास्थ्य और कानूनी जरूरतों का ध्यान हर समय रखा जाए।
मौके पर उपस्थित गणमान्य लोग
इस कार्यक्रम में डालसा के प्रभारी सचिव विशाल मांझी, प्रभारी न्यायाधीश विजय कुमार दास, लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के डिप्टी चीफ मो नुकूमुद्दीन शेख, संजीव कुमार मंडल, तथा पैरा लीगल वॉलिंटियर्स चंद्र शेखर घोष, उत्पल मंडल, नीरज कुमार राउत के साथ-साथ वृद्धाश्रम के कर्मचारी भी मौजूद थे। सभी ने बुजुर्गों के कल्याण और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सक्रिय भागीदारी दिखाई।
गांधी जयंती का सामाजिक संदेश
प्रधान न्यायाधीश ने इस अवसर पर कहा कि गांधी जयंती केवल सम्मान देने का दिन नहीं, बल्कि यह समाज के कमजोर वर्गों की भलाई और सेवा का संदेश भी देती है। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों का सम्मान और उनकी देखभाल हर नागरिक का सामाजिक और नैतिक कर्तव्य है। न्यायाधीश ने बुजुर्गों के साथ समय बिताकर उन्हें स्नेह और मानवीय जुड़ाव का अनुभव कराया।
वृद्धाश्रम और प्रशासन की प्रतिबद्धता
इस दौरे ने यह संदेश दिया कि समाज और प्रशासन के सहयोग से वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों को सम्मान, सुविधा और सुरक्षा प्रदान करना संभव है। वृद्धाश्रम में की गई यह पहल गांधी जयंती के अवसर पर सामाजिक जिम्मेदारी और मानवता की मिसाल साबित हुई।