व्यवहार न्यायालय परिसर में संविधान दिवस का गरिमामय आयोजन
पाकुड़ व्यवहार न्यायालय परिसर में आज संविधान दिवस के अवसर पर एक गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ शेष नाथ सिंह ने की।
इस अवसर पर न्यायिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं और न्यायालय कर्मियों ने भारतीय संविधान के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की।
संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन

कार्यक्रम के दौरान सभी उपस्थित अधिकारियों ने मिलकर संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन किया।
इसके बाद संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा रखने, लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने, और अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करने की शपथ ली गई।

भारतीय संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि हमारे लोकतंत्र की आत्मा है
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह ने कहा—
“भारतीय संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि हमारे लोकतंत्र की आत्मा है। इसकी प्रस्तावना हमें न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में लागू करने का मार्ग दिखाती है। आज लिए गए संकल्प का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि न्यायपालिका पारदर्शिता, निष्पक्षता और निष्ठा के सिद्धांतों पर चलकर जन-जन के अधिकारों की रक्षा करे। प्रत्येक नागरिक और प्रत्येक न्यायिक अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वे संविधान को सर्वोपरि मानकर अपने कर्तव्यों का पालन करें।”
न्यायिक अधिकारियों की महत्वपूर्ण उपस्थिति
कार्यक्रम में जिले के प्रमुख न्यायिक अधिकारी उपस्थित थे:
- प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह
- अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कुमार क्रांति प्रसाद
- मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी संजीत कुमार चंद्र
- जिला विधिक सेवा प्राधिकार सचिव रूपा बंदना किरो
- अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी
- अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सदिश उज्जल बेक
- प्रभारी न्यायाधीश विजय कुमार दास
अधिवक्ताओं और न्यायालय कर्मियों ने भी लिया संकल्प
कार्यक्रम में लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के अधिवक्तागण, पैनल अधिवक्ता, मेडिएटर अधिवक्ता, न्यायालय कर्मी, तथा पैरा लीगल वॉलिंटियर्स भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
सभी ने संविधान के मूल्यों को आत्मसात करने और न्याय प्रणाली को और अधिक सुदृढ़ बनाने का संकल्प लिया।
संविधान दिवस: न्याय और अधिकारों के प्रति जागरूकता का संदेश
यह कार्यक्रम न्यायिक समुदाय के बीच लोकतांत्रिक मूल्यों, संवैधानिक दायित्वों, और न्यायिक पारदर्शिता को मजबूत करने का महत्वपूर्ण प्रयास साबित हुआ।
संविधान की प्रस्तावना का वाचन करते हुए न्यायिक अधिकारियों ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि संविधान भारत के लिए सर्वोच्च मार्गदर्शक है।


