पेड़ों के नीचे होती थी पढ़ाई, अब शानदार भवनों में चलता है क्लास
कंप्यूटर शिक्षा व अन्य सुविधाओं से लैस है स्कूल
पाकुड़ । जिला मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर इलामी पंचायत कई मामलों में चर्चा में रहा है। यहां की मिट्टी ने जहां प्रगतिशील किसान दिया है, तो राष्ट्रीय स्तर के राजनेता, न्यायिक अधिकारी, बैंक अधिकारी, शिक्षक, वकील भी पैदा किया है। इसी मिट्टी में जन्म लेकर विदेशों में भी गांव के नाम रोशन कर रहे हैं। इन सबके साथ अंग्रेजी शासनकाल में स्थापित इस गांव की स्कूल का इतिहास जुड़ा है। जहां से शिक्षा की शुरुआत हुई। आज का प्लस- टू विद्यालय इलामी का इतिहास करीब 166 साल पुरानी है।
आजादी से पहले सन 1856 में स्कूल की स्थापना हुई थी। जानकारों का कहना है कि उस वक्त आठवीं कक्षा तक ही पढ़ाई होती थी। हालांकि कुछ वयोवृद्ध लोगों का मानना है कि शुरुआती दौर में पांचवीं तक पढ़ाई होती थी। बाद में आठवीं तक की पढ़ाई शुरू हुई। इन 166 सालों में स्कूल की तरक्की अपने आप में इतिहास है। कभी पेड़ों के नीचे पढ़ाई होती थी। अब शानदार भवनों में क्लास चलता है।
आजादी से पूर्व स्थापित मिडिल स्कूल को काफी सालों बाद मिट्टी और खपरैल का एक दो रुम ही मिला था। कालांतर में स्कूल की तस्वीर बदलती गई। अनुशासनप्रिय शिक्षकों ने पढ़ाई के साथ-साथ स्कूल के विकास को लेकर प्रयास जारी रखा। मिट्टी के कमरों की जगह पक्का भवन मिला। धीरे-धीरे छात्रों की संख्या बढ़ने लगी। यहां से स्कूल ने विकास का अध्याय लिखना शुरू किया। एक से एक होनहार छात्र निकले। जिन्होंने स्कूल और गांव का नाम रोशन किया।
शिक्षा के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ने लगी। अभिभावकों में बच्चों को शिक्षा दिलाने में रुचि बढ़ी। अभिभावक बेटों के साथ-साथ बेटियों को भी पढ़ाने में आगे आने लगे। एक समस्या यह थी कि आठवीं के बाद आगे की पढ़ाई के लिए दस किलोमीटर दूरी तय कर शहर आना विवशता बन गई। यह विशेष कर बेटियों के लिए कठिन लग रहा था। फिर क्या था, गांव वालों ने हाई स्कूल में तब्दील करने की ठान ली। साल 2011 में ग्रामीणों का प्रयास रंग लाया। ग्रामीणों की मांग और जरुरत पर सरकार ने मिडिल स्कूल से हाई स्कूल में अपग्रेड की मंजूरी दे दी। आगे भी ग्रामीणों का प्रयास निरंतर जारी रहा और साल 2016 में प्लस- टू में अपग्रेड हो गया।
अब यहां के छात्रों का इंटर की पढ़ाई के लिए बाहर जाने की विवशता भी खत्म हो गई। केवल इलामी ही नहीं, बल्कि तारानगर, कुसमानगर, नवादा आदि गांव के छात्र भी मैट्रिक इंटर तक की पढ़ाई कर रहे हैं। मैट्रिक और इंटर परिणाम में यहां के छात्रों ने लगातार स्कूल का नाम रोशन किया है।
आज वर्तमान में 2724 छात्र-छात्राएं शिक्षा ले रहे हैं। प्रशासन और शिक्षा विभाग के प्रयास से सरकार ने कंप्यूटर शिक्षा की भी सुविधा उपलब्ध कराई है। आज शानदार भवनों में पाठ्यक्रम के साथ-साथ कंप्यूटर शिक्षा सहित अन्य शैक्षिक गतिविधियां होती है।
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