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परमजीत कुमार/देवघर. 4 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने जा रहा है. बैद्यनाथधाम में पूरे महीने कांवरियों का तांता लगा रहता है. देश-विदेश से शिवभक्त यहां पहुंचते हैं. सुलतानगंज से जल उठाकर पूरे 105 किमी की पैदल यात्रा कर देवघर पहुंचते हैं. सावन में भक्तों की भीड़ बढ़ने के कारण जलाभिषेक के लिए इस बार भी अर्घा लगाया जाएगा.
12 ज्योतिर्लिंग में से एक बैद्यनाथधाम ज्योतिर्लिंग है, जहां स्पर्श पूजन किया जाता है. यहां स्पर्श पूजन करने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं. बाकी ज्योतिर्लिंगों में सिर्फ दर्शन पूजन होता है. बैद्यनाथधाम में सावन के महीने में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मंदिर के गर्भगृह के मुख्यद्वार पर एक पात्र लगाया जाता है. उसी गर्भगृह के पात्र में भक्त जल डालते हैं, जो सीधे शिवलिंग तक चला जाता है. इसी पात्र को अर्घा सिस्टम कहा जाता है.
2012 में लगा था अर्घा सिस्टम
बैद्यनाथधाम में भक्तों की भीड़ी साल-दर-साल बढ़ती जा रही है. सावन में भीड़ के कारण कोई हादसा न हो और यहां आने वाले सभी भक्त जल अर्पित कर सकें इसके लिए देवघर में 2012 बसंत पंचमी के अवसर पर पहली बार अर्घा का प्रयोग किया गया था. यह प्रयोग सफल होने के बाद प्रत्येक सावन में पूरे एक महीने के लिए गर्भगृह के मुख्यद्वार में अर्घा लगाया जाने लगा. इसके साथ ही मंदिर परिसर में 4 बाह्य अर्घा भी लगाया जाता है. लेकिन इस साल 2 महीने के लिए अर्घा लगाया जाएगा क्योंकि 19 साल बाद सावन पूरे 59 दिनों का हो रहा है.
किस धातु का बना होता है अर्घा
धार्मिक शास्त्र के अनुसार जब भी शिवलिंग पर जलाभिषेक करना चाहिए, ताम्बे या पीतल के पात्र से करना चाहिए. पीतल और ताम्बे के पात्र से जल अर्पित करने से सारी मनोकामना पूर्ण होती है, इसलिए देवघर में सावन में जो अर्घा लगाया जाता है वह पीतल का पात्र रहता है.
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FIRST PUBLISHED : July 01, 2023, 08:21 IST
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