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नकुल कुमार/पूर्वी चंपारण. पूर्वी चंपारण के सेमरा स्टेशन के पास जंगल का बनस्पतिमाई स्थान अपने अध्यात्मिक और मनोकामना पूरी करने वाली शक्तियों को लेकर ख्यात है. यहां दूर-दराज से लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और पूरी हो जाने पर जोड़ा कबूतर चढ़ाते हैं. मंदिर प्रांगण में माई स्थान के अलावा भगवान शिव का भी एक मंदिर है. माई स्थान होने के कारण प्रत्येक सप्ताह सोमवार एवं शुक्रवार को माई पूजन के लिए यहां अच्छी खासी भीड़ उमड़ती है. इन दिनों सुहागिन महिलाएं माता के कोहबर की पूजा घर पर ही विशेष रूप से बने हुए पूड़ी, पान-बताशा, अक्षत, लौंग, इलायची आदि से करती हैं. वहीं कई महिलाएं चुनरी का चढ़ावा चढ़ाती हैं.
बनस्पतिमाई स्थान के महंत राधा रमण दास ने बताया कि वैसे तो यहां सालों भर पूजा पाठ का आयोजन होता रहता है, लेकिन शारदीय नवरात्र में दुर्गा पूजा, बसंत में सरस्वती पूजा, शिवरात्रि, रामनवमी के मौके पर विशेष पूजा का आयोजन होता है. माई की महिमा ऐसी है कि जो भी सच्चे मन से कामना करता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है. मनोकामना पूरी होने पर लोग जोड़ा कबूतर चढ़ाते हैं. इन कबूतरों को छोड़ने से पहले उनके चोंच माता के दर पर रगड़ते हैं. फिर मंदिर प्रांगण में ही उसे उड़ा देते हैं. वहीं, बहुत सारे भक्त विशेष पूजा अथवा लखराव अष्टयाम कराते हैं.
दूर-दराज से आते हैं श्रद्धालु
माता की महिमा अथवा भक्तों की माता के प्रति श्रद्धा की विशेष पराकाष्ठा यह है कि यहां नेपाल, यूपी, बिहार के दूर-दराज से लोग दर्शन करने आते हैं. प्रत्येक माह यहां कम से कम 10 शादियां होती हैं. महंत जी कहते हैं कि कई श्रद्धालु अपनी नई गाड़ी की पूजा कराने, बच्चों की छठी, मुंडन, अन्नप्राशन, जन्मदिन और शादी की सालगिरह आदि मौके पर भी यहां आते हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 01, 2023, 10:58 IST
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