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नीरज कुमार/बेगूसराय: भारत पपीता उत्पादन के मामले में विश्व के अग्रणी देशों में शुमार होता है. बिहार में भी अब किसान बड़ पैमाने पर पपीता की बागवानी कर रहे हैं. अगल-अलग वैरायटी के पपीता की बागवानी कर किसान बेहतर मुनाफा भी कमा करे हैं.
किसानों को पपीता की अच्छी बागवानी और मुनाफे के तरीकों को समझाने में न्यूज 18 पर प्रसारित अन्नदाता कार्यक्रम कारगर साबित हो रहा है. यह कार्यक्रम किसानों की तकदीर बदलने का काम कर रहा है. कल तक किसानों को भले ही खेती की आईडिया के लिए सरकारी कार्यालय का चक्कर या फिर बागवानी कार्यक्रमों में जाकर प्रशिक्षण लेने की जरूरत पड़ती थी. लेकिन डिजिटल युग के किसान मोबाइल पर ही बागवानी के गुरु सीखकर लाखों की कमाई कर रहे हैं.
इसका ताजा उदाहरण बेगूसराय जिले के चेरिया बरियारपुर प्रखंड अंतर्गत बढ़कुरवा के किसान नीरज सिंह हैं. नीरज ने मोबाइल पर अन्नदाता कार्यक्रम देखकर पपीता की बागवानी कर सालाना 6 लाख से अधिक की मकमाई कर रहे हैं.
अन्नदाता कार्यक्रम से मिली पहचान
किसान नीरज सिंह ने बताया अन्नदाता कार्यक्रम देखकर पपीता की बागवानी का आइडिया आया. अभी 2 एकड़ में रेड लेडी किस्म के पपीता की बागवानी कर रहे हैं. वहीं पपीता की बागवानी के लिए जिला उद्यान अधिकारी राजीव रंजन ने काफी मदद की और पौधे भी उपलब्ध कराया. नीरज ने बताया एक पपीता के पौधे में कम से कम 50 केजी पपीता का उत्पादन होता है.
वहीं कुछ पौधे 100 किलो तक फल देते हैं. पपीता की बागवानी में आस-पास के 10 महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध हो जाता हैं . आपकों बता दें कि एक बीज वाले पौधे की कीमत 6.50 रूपए लागत आता है. वहीं एकड़ बागवानी करने पर किसान को 45 हजार तक का अनुदान दिया जाता है. पपीता की एक एकड़ की खेती में 2 लाख तक खर्च आता है. कृषि वैज्ञानिक रामपाल ने बताया कि पपीता की खेती के लिए मिट्टी का पीएच लेवल 6.0 और 7.0 के बीच सबसे अच्छा होता है.
6 लाख सालाना कमाई कर रहे हैं नीरज
किसान नीरज सिंह ने बताया कि रेड लेडी किस्म के पपीता की दो एकड़ में बागवानी कर रहे हैं. 11 से 13 महीने में 10 लाख तक मूल्य का पपीता का उत्पादन हो जाता है. ऐसे में 2 एकड़ में चार लाख लागत मूल्य लगता है. जबकि कमाई की बात करें तो 6 लाख तक हो जाती है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि पपीता की बागवानी किसानों के लिए अच्छी आमदनी का जरिया बन सकता है. इस क्षेत्र में किसान को आगे बढ़ने की जरूरत है. किसानों को उद्यान विभाग से लेकर कृषि विज्ञान केन्द्र भी जरूरी मदद मुहैया कराता है.
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FIRST PUBLISHED : July 01, 2023, 16:36 IST
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