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नकुल कुमार/पूर्वी चम्पारण. आज गुरु पूर्णिमा है. इस अवसर पर लोग अपने गुरुओं को याद करते हैं. मोतिहारी में LOCAL18 ने अंबिका नगर स्थित परम्बा शक्तिपीठ के संस्थापक चंचल बाबा से गुरु पूर्णिमा को लेकर खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने गुरु-शिष्य परंपरा एवं संबंध, गुरु का चुनाव, गुरु की आराधना आदि पर विस्तार से प्रकाश डाला. चंचल बाबा कहते हैं कि माता-पिता, गुरु और भगवान मनुष्य की आयु, बुद्धि, धन एवं शांति की वृद्धि करते हैं. उपनिषदों में कहा गया है कि आयु, विद्या, यश और बल यह चार चीजें सेवा से प्राप्त की जाती है. गुरु की सेवा करने वाले कि कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है.
गुरु की व्याख्या करते हुए बाबा कहते हैं कि गुरु ब्रह्मा होते हैं. गुरु विष्णु होते हैं, गुरु शिव होते हैं. जो सृष्टिकर्ता हैं. अथवा जिसके पास सृष्टि करने का ज्ञान है, वह गुरु है. जो पालन करता है वह गुरु है. जो शासन और संहार करते हैं वे गुरु हैं. जो ब्रह्म और प्रकृति के रूप में अखिल ब्रह्मांड को धारण करते हैं, वही गुरु होते हैं. वे कहते हैं कि शरीर का नाश हो जाएगा, लेकिन गुरु का नाश नहीं होगा. इसलिए गुरु को साक्षात परब्रह्म परमात्मा मानकर उनकी पूजा करनी चाहिए. गुरु की पूजा करने से मनुष्य एक अस्तित्व में हो जाता है एवं वह अपने धन, बल और यौवन को संभाल कर चलता है. गुरु से शुभ फल प्राप्त कर के अंतिम में शुभ गति को प्राप्त करता है. गुरु की कृपा से मनुष्य की सारी विपत्तियां दूर हो जाती है.
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जांच परखकर बनाना चाहिए गुरु
बाबा कहते हैं कि गुरु कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि ज्ञान होते हैं. अर्थात ज्ञान ही गुरू हैं और गुरु ही ज्ञान हैं. इतना ही नहीं, गुरु समदर्शी होते है. इसलिए पूर्णरूपेण समझ-बूझकर, पूर्ण विश्वास करके, समझ जांचकर गुरू बनाना चाहिए. गुरू बनाने के बाद प्राण जाए पर वचन ना जाए. गुरु से दूर नहीं जाना चाहिए. गुरु को भी अपने शिष्य को हर परिस्थितियों से उबारकर उसे सही मार्ग देना चाहिए.
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Tags: Bihar News, East champaran, Local18, Religion 18
FIRST PUBLISHED : July 03, 2023, 12:39 IST
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