कोरोना की वजह से दो साल तक लंबित रहने के बाद अब फिर से देश के जिला अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए जिला आवास कार्यक्रम लागू किया जाएगा। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने राज्यों को दिए निर्देश में कहा है कि पीजी छात्रों के लिए तीन माह का जिला आवास कार्यक्रम लागू किया जाए।
यह नियम 2021 से लागू होगा, जिसके तहत प्रत्येक पीजी छात्र को एक जिला अस्पताल में तीन माह तक सेवाएं देनी होंगी। उक्त छात्र के रहने की व्यवस्था अस्पताल परिसर या फिर दो से तीन किलोमीटर के आसपास के क्षेत्र में होगी ताकि आपात स्थिति में उनकी सेवाएं ली जा सके। इतना ही नहीं, आयोग ने चिकित्सा छात्र संगठनों की उस मांग को भी ठुकराया है जिसमें साल 2020 से छात्रों को नियमों में छूट देने की अपील की गई थी।
जानकारी के अनुसार, पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल रेगुलेशन के तहत 16 सितंबर 2019 को जिला आवास कार्यक्रम लागू करने का निर्णय लिया गया था लेकिन साल 2020 में कोरोना महामारी आने के बाद इसे अस्थायी तौर पर रोक दिया गया। अब महामारी पर नियंत्रण पाने के बाद फिर से जिला आवास कार्यक्रम को लागू करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
एनएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकारी के साथ साथ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले पीजी छात्र भी इस नियम के दायरे में आएंगें। सभी राज्यों के चिकित्सा शिक्षा विभागों की यह जिम्मेदारी होगी कि वे अपने यहां के प्राइवेट कॉलेजों को इस बारे में निर्देशित करें।
सीएचसी स्तर पर भी सेवाएं लेने का अधिकार
आयोग के अनुसार, जिला आवास कार्यक्रम के तहत जिला अस्पताल प्रबंधकों को यह अधिकार होगा कि वे अपने क्षेत्र की जरूरत के अनुसार पीजी छात्रों की सेवाएं ले सकते हैं। अगर उन्हें लगता है कि सीएचसी स्तर पर इन्हें तैनात करना है तो वह कर सकते हैं, हालांकि 100 बिस्तर की क्षमता से कम वाले अस्पताल इसके दायरे में नहीं होंगे।
तीसरे सेमेस्टर से शुरू होगा रोटेशन
राज्यों को भेजे निर्देश में आयोग ने जानकारी दी है कि जिला आवास कार्यक्रम के लिए पीजी के तीसरे सेमेस्टर से ही रोटेशन शुरू होगा। तीसरे, चौथे और पांचवें सेमेस्टर के छात्रों को इसके दायरे में क्रमवार लाया जाएगा। आयोग का साफ तौर पर कहना है कि यह कार्यक्रम चिकित्सा शिक्षा के लिए एक नवाचार है और समय व जरूरत के अनुसार भविष्य में संशोधन भी किए जा सकते हैं।