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नकुल कुमार/पूर्वी चंपारण. पूर्वी चंपारण में मणिपुरी ब्लैक राईस ‘चाक हाओ’ वैरायटी का ब्लैक मैजिक शुरू हो चुका है. यही कारण है कि पहले पूर्वी चंपारण में सिर्फ एक किसान इसकी खेती करते थे, लेकिन अब इस सुगंधित मणिपुरी चावल की खासियत का जादू किसानों के सिर चढ़कर ऐसे बोलने लगा है. अब यहां के सैकड़ों किसान इसकी खेती शुरू कर दिए हैं. जिले के कोटवा प्रखंड अंतर्गत गोपी छपरा पंचायत के सागर चुरामन गांव के रहने वाले प्रयागदेव सिंह पिछले तीन वर्षों से ब्लैक चावल ‘चाक हाओ’ की खेती कर रहे हैं. वे बताते हैं कि अपने जिले में इसकी अच्छी उपज प्राप्त हो रही है और जमीन की उर्वरा शक्ति भी बरकरार रह रही है.
किसान बताते हैं कि ‘चाक हाओ’ मणिपुरी वैरायटी का एक ब्लैक चावल है. जिसे GI टैग प्राप्त है. इसकी उपज लाल मिट्टी पर काफी खुशबूदार होती है, जबकि पूर्वी चंपारण में इसमें हल्का खुशबू होता है. किसान प्रयागदेव सिंह बताते हैं कि पश्चिमी चंपारण के किसान विजय गिरी ने सबसे पहले इस चावल का बीज मंगवाया था. उन्हीं के द्वारा एक किलोग्राम बीज दिया गया. जिससे आजकल कई क्विंटल ब्लैक चावल का उत्पादन कर रहे हैं.
दो वैरायटी का होता है ‘चाक हाओ’
किसान श्री सिंह बताते हैं कि इस मणिपुरी धान के दो वैरायटी हैं. एक वैरायटी ‘चाक हाओ’-01 है, जो 170 दिनों में तैयार होता है. इस धान की रोपाई में 1-2 धान की ही रोपनी की जाती है. एक धान से 15 से 20 बालियां निकलती है. इसका पौधा 6 से 7 फीट लंबा होता है. इसका चावल मोटा होता है. तो वहीं दूसरी वैरायटी ‘चाक हाओ’-02 है, जो 120 दिनों में तैयार होता है. इसका पौधा लगभग तीन फीट लंबा होता है.
5 कट्ठे से की थी शुरुआत
किसान बताते हैं कि उन्होंने इस मणिपुरी वैरायटी की शुरुआत सिर्फ 5 कट्ठे से की थी. आज 3 वर्ष के बाद 10 कट्ठे में इसकी खेती कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर, इसमें किसी भी तरह के रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करते हैं. बल्कि खुद से बनाया ऑर्गेनिक खाद डालते करते हैं. वे कहते हैं कि मणिपुर में लोग इसे विशेष त्यौहार या अवसर पर बनाते हैं. इसको पकाने में लगभग एक घंटे का समय लगता है. एंथोसायनिन पिगमेंट के कारण इसका रंग काला होता है. लेकिन पकाने पर इसका रंग काला से बैगनी हो जाता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट एवं कई तरह के विटामिन भी पाए जाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 06, 2023, 15:07 IST
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