रांची. रांची में पिछले एक हफ्ते में 3 छात्रों ने आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. पहली घटना 14 जनवरी को लालपुर के श्रेया गर्ल्स हॉस्टल से सामने आयी थी. जहां बोकारो की परवीन ने फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. परवीन के मां-बाप का कहना है कि कुछ दिनों से परीक्षा को लेकर परेशान चल रही थी. किसी से अधिक बातचीत नहीं कर रही थी. परवीन की दोस्तों का कहना है कि एक पेपर में वह फेल हो गई थी. जिसके चलते वह काफी टेंशन में थी.
दूसरी घटना 16 जनवरी को समाने आईआईएम रांची के हॉस्टल में सेकंड इयर के छात्र शिवम पांडे का शव फंदे से लटकता शव मिला था. शिवम का प्लेसमेंट 22 लाख के पैकेज पर बेंगलुरु में हुआ था. वह 15 दिन के अंदर जॉब ज्वाइन करने वाला था. वहीं, तीसरी घटना में 18 जनवरी को बीआईटी मेशरा के गर्ल्स हॉस्टल में एक लड़की का शव फंदे से झूलते हुए मिला. माता पिता का कहना है कि कुछ दिनों से वह लगातार परेशान रह रही थी. पूछने पर कुछ बताया नहीं, पुलिस ने भी जांच में सुसाइड की बात कही है.
तनाव और अवसाद के कारण बढ़ रही है आत्महत्या की घटना :
5 दिन के अंदर हुई आत्महत्या की 3 घटना से लोग सकते हैं. छात्र-छात्रों के बीच बढ़ते सुसाइड को लेकर मन में सवाल उठता है कि इतने अच्छे कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र ,जिन्हे सभी तरह की सुख-सुविधा उपलब्ध होती हैं. फिर वह आत्यहत्या जैसे भयावह कदम क्यों उठाते हैं. इस संबंध में News18 Local ने रांची के मेडिका हॉस्पिटल के न्यूरो फिजिशियन डॉक्टर दीपक चंद्र प्रकाश से खास बातचीत की. डॉ दीपक ने कहा आजकल के बच्चों में तनाव सहन करने की क्षमता बहुत कम हो गई है वहीं अवसाद भी एक प्रमुख कारण है जिस वजह से बच्चे ऐसा कदम उठा रहे हैं.
छात्रों मे अवसाद का कारण है जीवन में परफेक्शन की चाहत :
डॉ दीपक ने कहा कि डिप्रेशन का प्रमुख कारण है कि हम जो चाहते हैं वह हमें ना मिलना चाहे अपने प्यार में, अपने पढ़ाई में या अपने घर परिवार में. उनको हर जगह परफेक्शन चाहिए चीजें अपने अनुसार चाहिए, उनको थोड़ा कमी नजर आता है तो वह परेशान हो जाते हैं. साथी कई बार शरीर के अंदरूनी ओर्गंन में बीमारी होती हैं जो कई बार हमें पता नहीं चलता इस वजह से भी डिप्रेशन होती है.
कैसे पहचाने अवसाद की स्थिति :
डॉक्टर दीपक कहते हैं दो तरह का डिप्रेशन होता है पहला एक्यूट और दूसरा क्रोनिक.अगर समय पर भूख न लगना, बहुत कम या बहुत अधिक नींद आना ,जो काम कर रहे हैं उसमे मन ना लगना, मन हमेशा उदास या बेचैन रहना,बिना कारण चिड़चिड़ापन महसूस होना. इनमें से कोई भी लक्षण है तो लोगों को फॉरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
क्या है डिप्रेशन से बचाव का तरीका :
डिप्रेशन से बचने के लिए सबसे जरूरी है अपने माता-पिता से बात करें, उनसे अच्छा सलाहकार कोई नहीं हो सकता. अपने दोस्तों से बात करें व माता-पिता का भी फर्ज बनता है वह बच्चों से हमेशा संपर्क में रहे और जानने की कोशिश करें कि उनके दिमाग में कोई गलत विचार तो नहीं चल रहा है और अगर कुछ समझ में ना आए तो न्यूरो फिजियन या मनोरोग विशेषज्ञ से संपर्क करें.