देवघर. सावन के महीने में सोमवारी व्रत करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर मांगी गईं मन्नतें पूरी करते हैं. इस साल सावन महीने की पहली सोमवारी 10 जुलाई को होने वाली है. इस दिन अष्टमी तिथि भी पड़ रही है. सावन की पहली सोमवारी में रेवती नक्षत्र का योग बन रहा है. रेवती नक्षत्र में भगवान काल भैरव की पूजा करने से सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं. वहीं, इस दिन पंचक भी है. देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि पंचक के दिन भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए या नहीं. अगर करनी चाहिए तो क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?
देवघर के ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुदगल ने लोकल 18 से कहा कि सावन में सोमवारी का अपना अलग महत्त्व है. जो सोमवार के दिन व्रत रखकर बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक या रुद्राभिषेक करते हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस बार पहली सोमवारी के दिन रेवती नक्षत्र पड़ रहा है और चंद्रमा को रेवती रमन कहते हैं. भगवान शिव के मस्तक पर चंद्रमा विराजमान है. ऐसे संयोग में भगवान शिव का रुद्राभिषेक और जलाभिषेक करना सौभाग्य की बात होती है.
क्या है शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि यूं तो भगवान भोलेनाथ की पूजा या रुद्राभिषेक करने में कोई शुभ मुहूर्त नहीं देखा जाता है. पर आप अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक या रुद्राभिषेक करते हैं तो उत्तम और शुभ रहेगा. वहीं सुबह 05 बजकर 30 मिनट से 08 बजे तक अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त रहेगा.
सोमवार के व्रत का नियम
प्रदोष व्रत की तरह ही सावन के सोमवारी का व्रत रखा जाता है. सोमवार के दिन व्रत रखने वाले श्रद्धालु अहले सुबह उठकर भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक करें और बेलपत्र अर्पण करें. वहीं दिन भर उपवास में रहकर एक बार फलाहार करें. इससे भोलेनाथ प्रसन्न होंगे.
सोमवार को रहेगा पंचक
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि सोमवार को रात 11:00 बजे पंचक की समाप्ति हो रही है. वहीं पूजा और व्रत रखने में पंचक या भद्रा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. भगवान भोलेनाथ महाकाल हैं. उन पर न तो पंचक और न ही भद्रा का साया पड़ता है. श्रद्धालु निश्चिंत होकर सोमवार के दिन व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना करें. लेकिन पंचक के दिन दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए. क्योंकि दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी गई है.
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