देश में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठनों ने आरपार की लड़ाई का एलान कर दिया है। एनपीएस खत्म कराने और ओपीएस का फायदा दिलाने की यह लड़ाई 2024 से पहले लड़ी जाएगी। 21 जनवरी को नई दिल्ली में आयोजित ‘नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन’ (एनजेसीए) की नेशनल कन्वेंशन की बैठक में कई बड़े निर्णय लिए गए हैं। अगर केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल नहीं की, तो मानसून सत्र के दौरान संसद का घेराव किया जाएगा। एनजेसीए का दावा है कि उस घेराव में केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्यों के लगभग पांच लाख एनपीएस कर्मचारी शामिल होंगे। इस बीच कर्मचारी संगठन, देश के विभिन्न हिस्सों में पदयात्राएं भी निकालेंगे। अगर केंद्र ने 2024 से पहले ओपीएस लागू करने की घोषणा नहीं की तो भाजपा को लोकसभा चुनाव में राजनीतिक नुकसान पहुंचाने की रणनीति तैयार की जाएगी।
अब तेज होता जाएगा ‘ओपीएस’ का आंदोलन
स्टाफ साइड’ की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सचिव शिव गोपाल मिश्रा, रक्षा असैनिक कर्मियों के सबसे बड़े संगठन, अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार और कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह सहित, कर्मचारी संगठनों के सैंकड़ों पदाधिकारी, एनजेसीए की बैठक में शामिल हुए। सी. श्रीकुमार ने कहा, पुरानी पेंशन बहाली और एनपीएस खत्म कराने को लेकर कर्मचारी संगठनों का आंदोलन अब दिन प्रतिदिन तेज होता जाएगा। रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एनपीएस में शामिल कर्मचारी, जो गत वर्ष एचवीएफ अवाड़ी (एक आयुध निर्माणी) से रिटायर हुए हैं, उन्हें चार-पांच हजार रुपये पेंशन मिली है। इनमें एक नाम आर रामचंद्रन का है। उनका मूल वेतन 30500 रुपये था। एनपीएस में शामिल रामचंद्रन ने 13 साल तक सेवा की है। उन्हें केवल 2417 रुपये मासिक पेंशन मिली है।
एनपीएस में 17 वर्ष बाद मिलती है 4900 रुपये पेंशन
बतौर श्रीकुमार, कर्मियों के साथ मजाक का यह सिलसिला तो अभी शुरू हुआ है। अगर पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू होती, तो उन्हें कम से कम 15250 रुपये की मासिक पेंशन मिलती। दूसरे कर्मचारी के. भास्कर राव हैं, जिनका मूल वेतन 34300 रुपये था। इन्होंने 15 साल तक नौकरी की है। रिटायरमेंट पर उन्हें 2506 रुपये मासिक पेंशन मिली है। पुरानी पेंशन व्यवस्था में उन्हें 17150 रुपये मिलते। तीसरा उदाहरण, एस शिवाशंकरन का है, उनका मूल वेतन 56900 रुपये था। उन्होंने 17 वर्ष तक नौकरी की है। रिटायरमेंट पर उन्हें 4900 रुपये पेंशन मिली है। वे ओपीएस में होते उन्हें 28450 रुपये मिल जाते। एनपीएस में मुद्रा स्फीति के मुआवजे के लिए महंगाई भत्ता व महंगाई राहत का कोई तत्व नहीं है। पुरानी पेंशन योजना में मूल्यवृद्धि की क्षतिपूर्ति के लिए, साल में दो बार महंगाई भत्ता दिया जाता है। पुरानी पेंशन योजना, सुपरिभाषित लाभ वाली योजना है। जिन कर्मियों की न्यूनतम दस वर्ष की क्वॉलिफाइंग सर्विस होती है, वह पेंशन के लिए पात्र होते हैं। उनको अंतिम आहरित वेतन का 50 फीसदी मासिक पेंशन के रूप में दिया जाता है।
सीएपीएफ में गणतंत्र दिवस पर ओपीएस लागू करें पीएम
महासचिव रणबीर सिंह ने कहा, देश में एनपीएस हटाओ, पुरानी पेंशन बहाल करो, अब इस आंदोलन को तेजी से बढ़ाया जाएगा। इस आंदोलन को आम जनमानस तक आवाज पहुंचाने के लिए नुक्कड़ सभाएं, मशाल जुलूस और जिला स्तरीय पद यात्राओं का सिलसिला शुरू होगा। 10 फरवरी से 20 फरवरी तक हस्ताक्षर युक्त ऑनलाइन पिटिशन अभियान प्रारंभ किया जाएगा। रणबीर सिंह ने कहा, 26 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी, दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पैरामिलिट्री फोर्स में पुरानी पेंशन बहाली के फैसले का सम्मान करते हुए इन बलों में ओपीएस लागू करने की घोषणा करें। अगर केंद्र सरकार, दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिए गए एतिहासिक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाती है, तो 20 लाख पैरामिलिट्री परिवारों में काफी निराशा का माहौल बनेगा। इसका असर सरहदों तक पड़ेगा।