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भास्कर ठाकुर/सीतामढ़ी. सावन के महीने में भगवान शिव को जल अर्पित करने का एक अलग महत्व है. कहा जाता है कि सावन माह में ही समुद्र मंथन हुआ था. जिसमें हलाहल विष निकला था और उसको शिवजी ने अपने अंदर ग्रहण कर लिया था. इसके बाद उनके कंठ में काफी जलन महसूस हुई थी, जिसके बाद देव और दानव ने मिलकर बाबा भोलेनाथ को गंगाजल से स्नान कराया था. तभी से सावन के महीने में भगवान शिव को जल चढ़ाने की परम्परा बन गई. सीतामढ़ी में भी कई ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिर है.
इससे अलग-अलग मन्यताएं जुड़ी हुई है. यहां स्थापित शिवलिंग अद्भूत व दक्षिण के रामेश्वरम से भी प्राचीन है. मान्यता है कि इस मंदिर का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा हुआ है और राजा जनक ने इस मंदिर की स्थापना की थी. इसे हलेश्वर स्थान के नाम से जाना जाता है.
पुरैना गांव में हल चलाने के दौरान मां जानकी हुई थी धरती से प्रगट
पौराणक कथाओं के अनुसार, त्रेता युग में मिथिलांचल में भीषण अकाल पड़ा था. पानी के लिए लोगों में त्राहिमाम मच गया था. तब ऋषि मुनियों की सलाह पर राजा जनक ने अकाल से मुक्ति के लिए हलेष्टि यज्ञ कराया. यज्ञ शुरू करने से पूर्व राजा जनक जनकपुर से गिरमिसानी गांव पहुंचे और यहां अद्भूत शिवलिंग की स्थापना की. राजा जनक की पूजा से खुश होकर भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ प्रकट होकर उन्हें आर्शीवाद दिया.
राजा जनक ने इसी स्थान से हल चलाना शुरू किया और सात किमी की दूरी तय कर सीतामढ़ी के पुनौरा गांव में पहुंचे. जहां हल के सिरे से मां जानकी धरती से प्रकट हुई थी. इसके साथ ही घनघोर बारिश होने लगी और इलाके से अकाल समाप्त हुआ. इस शिवलिंग से राजा जनक का गहरा संबंध रहा. इसलिए इस स्थान को हलेश्वर स्थान के नाम से जाना जाता है. सावन के महीने में यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं. श्रद्धालु बताते हैं कि सावन के महीनें में हलेश्वर स्थान आने से भवगवान शिव प्रसन्न होते हैं.
रामेश्वरम से भी प्राचीन है हलेश्वरनाथ महादेव का शिवलिंग
हलेश्वरनाथ महादेव स्थान सीतामढ़ी शहर से महज सात किलोमीटर की दूरी पर फतेहपुर गिरमिसानी गांव में है. इस शिवलिंग की स्थापना खुद राजा जनक ने की थी और राम-जानकी ने इस शिवलिंग की पूजा-अर्चना की थी. इलाके की समृद्धि के लिए किसान बाबा हलेश्वर नाथ का जलाभिषेक करते हैं. हलेश्वरनाथ स्थान में ऐसे तो साल भर श्रद्धालु दर्शन व जलाभिषेक के लिए पहुंचते रहते हैं, लेकिन सावन माह में इलाका हर-हर महादेव से जयघोष से गूंजता रहता है.
पुराणों के अनुसार, इसी स्थान पर खुद भगवान शिव ने उपस्थित होकर परशुराम को शस्त्र की शिक्षा दी थी. पुराणों में भी इसका उल्लेख है. इसी वजह से मंदिर के प्रति लोगों की आस्था प्रबल है. यहां आने के लिए सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन या बाईपास से आसानी से ऑटो रिक्शा मिल जाती है.
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Tags: Bihar News, Latest hindi news, Local18, Lord Shiva, Sawan, सीतामढ़ी
FIRST PUBLISHED : July 11, 2023, 16:06 IST
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