पाकुड़ । ज्ञान, संगीत कला की अधिष्ठात्री विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा कल उदया तिथि को सुनिश्चित की गई है।
यू तो बसंत पंचमी का आरंभ 25 जनवरी के 12: 25 प्रारंभ है। किंतु शास्त्रानुसार सूर्य उदया तिथि को पूजा शुभ माना गया है। फल स्वरूप लोग उदया तिथि 26 जनवरी को सरस्वती पूजा मना रहे हे।
माना जाता है कि 26 जनवरी के 10:29 तक शुभ मुहूर्त में पूजा कर लेना श्रेषकर होगा। मां सरस्वती की पूजा करने से विद्या के साथ-साथ देवी मां सरस्वती मां काली का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। मां सरस्वती को विद्या बुद्धि गायन वादन स्वर की देवी माना जाता है। इसलिए सरस्वती पूजा के दिन से जुड़ी वस्तुओं को दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
सरस्वती पूजा का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार बसंत पंचमी के अवसर पर ही मां सरस्वती का प्रादुर्भाव हुआ था। इन्हें विणा और ज्ञान, कला, गायन, वादन एवं स्वर की देवी माना गया है।
बसंत पंचमी को माता सरस्वती की जयंती होती है।इस दिन सरस्वती माता की पूजा विद्या अर्जित करने वाले छात्र-छात्राएं स्कूल कॉलेज एवं विभिन्न संस्थानों में मनाया जाता है।
शहर के लगभग सभी विद्यालय एवं अन्य स्थल पर मां सरस्वती की प्रतिमा की पूजा अर्चना अति प्रातः काल से ही पूरे विधि विधान के साथ जारी है।
सरस्वती पूजा विधि
माघ मास की पंचमी तिथि को यानी बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण कर माथे पर तिलक तिलक लगाकर देवी मां सरस्वती का पीले फूल पीला मिठाई हल्दी पीला रंग धूप चंदन नैवेद्य फल फूल से पूजा अर्चना करना चाहिए।