Tuesday, June 10, 2025
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12 ज्योतिर्लिंगों में से केवल बैद्यनाथ धाम में है यह परंपरा, शास्त्रों में भी है इसका वर्णन, जानें मान्यता

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देवघर. देवघर में 12 ज्योतिर्लिंग में से एक बाबा बैद्यनाथ स्थापित हैं. सावन में यहां भारी संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं. इसके अलावा कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं. उन्हीं में से एक है गठबंधन. इसे गठजोड़वा भी कहा जाता है. यह गठबंधन बाबा भोलेनाथ के मंदिर और माता पार्वती के मंदिर के शिखर को एक पवित्र धागा से जोड़ा जाता है. यह परंपरा शायद ही किसी ज्योतिर्लिंग में देखने को मिलेगी.

श्रद्धालु परिवार के साथ यहां पहुंचते हैं और गठबंधन की परंपरा पूरा करते हैं. इस धार्मिक अनुष्ठान को पूरा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है. देवघर के तीर्थपुरोहितों का कहना है कि शास्त्रों में भी भगवान शिव और माता पार्वती के मंदिर के शिखर को एक पवित्र धागों से गठजोड़ करने की परम्परा का वर्णन किया गया है.

देवघर के तीर्थ पुरोहित प्रमोद श्रृंगारी ने लोकल 18 को बताया कि बाबा बैद्यनाथ कामना लिंग के नाम से भी जाना जाता है. यहां मांगी गई हर कामनाएं जरूर पूर्ण होती है. हर साल हजारों भक्तों देवघर के बाबा मंदिर में मन्नत के लिए आते हैं और भगवान शिव से यह वादा करते हैं कि मन्नत पूरी होने पर गठजोड़ परंपरा करेंगे. मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालू भगवान शिव ओर माता पार्वती के मंदिर के शिखर को लाल रंग के धागो से बांधते है. इस अनुष्ठान को गठजोड़वा भी कहते है.

कौन लोग करते है गठबंधन:

वैसे तो यह धार्मिक अनुष्ठान सभी लोग करते है लेकिन यह गठजोड़वा परंपरा विवाहित जोड़ों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है. विवाह में रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा है. तीर्थ पुरोहित बताते हैं कि इस रक्षा सूत्र को बांधने से पति-पत्नी को हर संकट से मुक्ति मिलती है. वैवाहिक जीवन सुखमय बीतता है. इसलिए ज्यादातर विवाहित जोड़े ही गठबंधन परंपरा को निभाते हैं. साथ ही गठबंधन अनुष्ठान करने से संतान प्राप्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इस गठबंधन की लंबाई 54 फिट है.

गठजोड़ बनाने से पूर्ण होती है श्रद्धालुओं की मनोकामना

गठजोड़ की यह परम्‍परा बाबा धाम में सालभर चलती है. लेकिन सावन के पवित्र माह में गठबंधन कराने का खास धार्मिक महत्व है. यही कारण है कि इस माह में अधिकांश श्रद्धालु यहां गठजोड़ और ध्वजा चढ़ाने के बाद ही अपने धार्मकि अनुष्ठान को पूर्ण मानते हैं. यह प्रथा यहां की अलग विशेषताओं में से एक है जो अन्य किसी ज्योर्तिंग में देखने को नहीं मिलती है.

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