एमरजेंसी में जरूरत पड़ी रक्त की, परिजन हुए परेशान
पाकुड़: मानवता की मिसाल पेश करते हुए इंसानियत फाउंडेशन के सक्रिय सदस्य नाजमूल हुसैन ने एक बार फिर समाज के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाई। मामला मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुर सदर सुपर अस्पताल का है, जहां सितेसनगर निवासी 29 वर्षीय नगमा बीबी इलाज के लिए भर्ती थीं। डॉक्टरों ने बताया कि नगमा बीबी का हीमोग्लोबिन स्तर बेहद कम हो चुका है और उन्हें तुरंत बी पॉजिटिव रक्त की आवश्यकता है।
परिजनों ने कई प्रयास किए, लेकिन वक्त पर रक्त की व्यवस्था नहीं हो पाई। ऐसे समय में परिजनों ने अस्पताल के कुछ कर्मचारियों के सुझाव पर इंसानियत फाउंडेशन से संपर्क साधा।
संस्था ने निभाई सामाजिक जिम्मेदारी, नाजमुल ने तुरंत दिया सहयोग
जैसे ही इंसानियत फाउंडेशन के सचिव बानिज शेख को इस आपात स्थिति की जानकारी मिली, उन्होंने बिना देर किए अपने सहयोगी 25 वर्षीय नाजमूल हुसैन से संपर्क किया। बानिज शेख ने उन्हें बताया कि एक महिला गंभीर अवस्था में है और उन्हें तुरंत रक्त की आवश्यकता है।
नाजमूल हुसैन ने इंसानियत का परिचय देते हुए एक पल की भी देरी नहीं की और तुरंत रक्तदान के लिए सहमति दे दी। वे तुरंत जंगीपुर अस्पताल पहुंचे और वहां जाकर बी पॉजिटिव रक्त दान किया। यह उनका लगातार 12वां रक्तदान था, जो समाज में उनकी संवेदनशीलता और समर्पण को दर्शाता है।
अध्यक्ष का संदेश: भाईचारा ही असली पहचान
इस प्रेरणादायक कार्य के बाद इंसानियत फाउंडेशन के अध्यक्ष सद्दाम हुसैन ने समाज के नाम एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा, “हिंदू-मुस्लिम, जाति-पांति के भेदभाव में नहीं पड़ें। कुछ नेता समाज को बांटने का कार्य करते हैं, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि हम सभी हिंदुस्तानी हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए, भाईचारे के साथ रहना चाहिए और मानवता को सर्वोपरि मानना चाहिए। रक्तदान जैसे कार्य मज़हब नहीं देखते, यह केवल इंसानियत का प्रतीक हैं।”
युवाओं से अपील: रक्तदान करें, जीवन बचाएं
अध्यक्ष ने खास तौर पर युवाओं से अपील की कि वे आगे आएं और समय-समय पर रक्तदान कर दूसरों का जीवन बचाने में सहयोग करें। उन्होंने कहा, “रक्तदान महादान है, और यह किसी की जिंदगी को नई राह दे सकता है।”
इस मौके पर ब्लड बैंक के कर्मचारी भी उपस्थित थे, जिन्होंने रक्तदान की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कराया।
नाजमूल हुसैन की पहल बनी प्रेरणा
नाजमूल हुसैन का यह 12वां रक्तदान न सिर्फ एक महिला की जान बचाने का माध्यम बना, बल्कि यह समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। उनका यह कदम यह दर्शाता है कि जब इंसान मदद के लिए आगे आता है, तो वह किसी की जिंदगी बदल सकता है।