
पाकुड़। मणिपुर एवं पश्चिम बंगाल के मालदा में हुए दो आदिवासी महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यवहार एवं दुष्कर्म के विरोध में बुधवार को आदिवासी छात्र संघ एवं सीपीआईएम द्वारा शहर में केंद्र सरकार और मणिपुर के राज्य सरकार के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया गया।
केंद्र सरकार पर रोष व्यक्त करते हुए आदिवासी छात्र संघ ने भारत के प्रधानमंत्री एवं मणिपुर के मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया तथा शीघ्र से शीघ्र दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। इस संबंध में आदिवासी छात्र संघ के नेता कमल मुर्मू ने कहा मणिपुर घटना हुए 77 दिन बीत गए। किंतु दोषियों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब से केंद्र में भाजपा सरकार आई है आदिवासियों पर हमला तेज हुआ है।
कमल मुर्मू ने कहा कि मणिपुर में जातिवाद के आग में झुलस रहा है। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार इस पर काबू पाने में असमर्थ हैं। दुर्भाग्य है भारत का राष्ट्रपति खुद आदिवासी वर्ग से आती हैं और फिर भी वह खामोश हैं। इससे अधिक शर्म और लज्जा की बात क्या होगी। भारत सरकार की मंशा पर अंगुली उठना नजमी है। अगर केंद्र सरकार दोषियों पर कार्रवाई नहीं करती है तो फिर संपूर्ण भारत में आदिवासी समाज व्यापक आंदोलन करेंगे।
दूसरी ओर सीपीआईएम की कार्यकर्ता शिवानी नाहा ने केंद्र सरकार पर दोषारोपण करते हुए कहा की मणिपुर में भाजपा शासित राज्य हैं। वहां पर सरकार दोषियों पर कार्रवाई करने में नाकाम है। पश्चिम बंगाल के मालदा में भी इस तरह की घटना को दोहराया गया है। इससे स्पष्ट है कि सरकार को इससे कोई सरोकार नहीं है। महिलाओं के साथ इस तरह का घिनौना हरकत करना कतई बर्दाश्त नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि मैं मालदा में उन पीड़ित परिवारों से मिली हूं। मैं उसकी वर्णन नहीं कर सकती। जो उन लोगों के साथ हुई है यह बहुत ही शर्मनाक है। ममता सरकार भी मामला को आपसी लड़ाई बताती हैं। केंद्र सरकार किसी भी प्रकार की दखलंदाजी नहीं कर रही है। सरकार यदि इसी प्रकार से खामोश रहती है तो आने वाले समय भयावह होगी।