झारखंड आंदोलनकारियों को मिलेगा उनका अधिकार
पाकुड़। झारखंड सरकार ने झारखंड आंदोलन के संघर्षशील साथियों को सम्मान और पेंशन सुविधा देने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। इस क्रम में पाकुड़ जिला के पांच आंदोलनकारियों को सम्मान पेंशन और अन्य सुविधाएं देने के लिए राज्य सरकार के स्तर से स्वीकृति दी गई है। जिला प्रशासन को इन नामों की पुष्टि के साथ निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्रवाई करने का आदेश जारी कर दिया गया है।
राज्य सरकार ने दी स्वीकृति, आंदोलनकारियों को मिलेगी राहत
झारखंड के गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा 16 जून 2025 को जारी आदेश में साफ कहा गया है कि झारखंड अलग राज्य आंदोलन में सक्रिय रहे व्यक्तियों को सम्मान पेंशन, राजकीय मान्यता, और अन्य सरकारी सुविधाएं दी जाएंगी। यह पहल राज्य के गठन में योगदान देने वालों को उचित सम्मान देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
पाकुड़ के पांच आंदोलनकारियों को सूची में मिली जगह
- श्याम यादव
- किशोर भगत
- रतन चंद्र दे
- कमलेश शाह
- फारूक आलम अंसारी
इन आंदोलनकारियों को राज्य सरकार द्वारा सम्मान पेंशन देने की प्रक्रिया स्वीकृत की गई है:
दस्तावेजों के आधार पर पूरी होगी प्रक्रिया
सरकार के निर्देशानुसार इन आंदोलनकारियों को मिलने वाली सुविधाएं पूर्व में जमा प्रमाणपत्रों और न्यायालयीय दस्तावेजों के आधार पर सुनिश्चित की जाएंगी। पाकुड़ अनुमंडल पदाधिकारी को इन मामलों की विधिवत पुष्टि कर दो दिनों के अंदर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि सम्मान पेंशन और अन्य लाभों की प्रक्रिया तुरंत शुरू हो सके।
संघर्षशील इतिहास को मिल रही है सरकारी मान्यता
झारखंड आंदोलन में हिस्सा लेने वाले ये लोग राज्य के सामाजिक और राजनीतिक इतिहास में मील का पत्थर रहे हैं। अब जब उन्हें सरकारी स्तर पर मान्यता, सम्मान और पेंशन दी जा रही है, यह कदम नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है। इससे यह संदेश भी जाता है कि संघर्ष और बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाता।
📌 संघर्ष को मिला सम्मान, इतिहास को मिली पहचान
राज्य सरकार की इस पहल से स्पष्ट होता है कि झारखंड अपने इतिहास के सच्चे नायकों को सम्मान देने के प्रति गंभीर है। पाकुड़ के जिन आंदोलनकारियों को इस सूची में स्थान मिला है, उनके लिए यह न सिर्फ सामाजिक प्रतिष्ठा का विषय है, बल्कि उनके योगदान की आधिकारिक मान्यता भी है।
सरकार की यह पहल भविष्य में और अधिक आंदोलनकारियों को लाभान्वित करेगी, और साथ ही राज्य निर्माण के लिए किए गए बलिदानों को सम्मानपूर्वक याद भी रखा जाएगा।