Saturday, May 10, 2025
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इस गांव में शादी के बाद दुल्हन को पैदल जाना पड़ता है ससुराल, जानें वजह

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सत्यम कुमार/भागलपुर. शादी के बाद दूल्हा-दुल्हन की विदाई आपने गाड़ी से लेकर प्लेन तक में देखी या सुनी होगी. लेकिन जब नई नवेली दुल्हन को अपना ससुराल पैदल या ठेले से जाना पड़े तो कैसा महसूस होगा ये आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं. लेकिन कुछ ऐसा ही वाक्या भागलपुर में हुआ. जब नई नवेली दुल्हन व दूल्हा को पैदल ससुराल जाना पड़ा. इसके बाद यह चर्चा का विषय बना हुआ है.

दरअसल, आपको बता दें कि कई जगहों पर चचरी पुल( ग्रामीणों द्वारा बनाया गया लकड़ी का पुल) हैं. जिसके सहारे लोग आवागमन करते हैं. लेकिन इस बार दूल्हे को अपनी दुल्हन को घर ले जाने के लिए नदी पार करने के लिए चचरी पुल का सहारा लेना पड़ा.

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गांव में आने के लिए नहीं है रास्ता
पूरा मामला भागलपुर से करीब एक किलोमीटर दूर नाथनगर प्रखंड के शंकपुर पंचायत का है. गांव के ही रहने वाले सत्तो महतो की पुत्री की शादी गुरुवार की रात थी. बारात मनिहारी से आई थी. लेकिन गाड़ी गांव तक जाने का रास्ता नहीं रहने के कारण बाराती को गाड़ी महादेव सिंह कॉलेज के समीप लगाना पड़ा. गाड़ी लगाकर बराती को करीब डेढ़ किलोमीटर दूर पैदल होकर जाना पड़ा. शादी के बाद शुक्रवार की सुबह में दूल्हा अपनी दुल्हन के साथ चचरी पुल पैदल पार कर वापस अपने घर को गए.

कई बार टूट चुका है रिश्ता
इस गांव में बेटियां की शादी मुश्किल से होती है. ग्रामीण शंकर कुमार ने बताया कि यहां कई बार कई बेटी की शादी तय होने के बाद भी टूट चुकी है. मुख्य वजह गांव तक गाड़ी नहीं पहुंच पाना है. उन्होंने बताया कि बेटे की भी शादी बड़ी मुश्किल से तय होती है. यह गांव हर वर्ष बाढ़ की चपेट में आता है. बाढ़ में हमलोगों को जाने के लिए ये पुल भी नहीं बचता है. नाव के सहारे आवागवन करना पड़ता है. कई बार इसको लेकर आवाज भी उठाई गई लेकिन कोई काम नहीं हुआ.

चुनाव के समय भी उठता है पुल का मुद्दा
हर वर्ष चुनाव के समय भी पक्का पुल का मुद्दा उठता है. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद इसको कोई देखने वाला भी नहीं रहता है. चचरी पुल भी ग्रामीण खुद चंदा इक्कट्ठा कर बनाते हैं. बाढ़ के समय इस पुल को खोलना पड़ता है. पुनः बाढ़ खत्म होते ही इसे बनाना पड़ता है. हम लोगों को पक्के की पुल की जरूरत है.

Tags: Bhagalpur news, Bihar News, Local18

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