पाकुड़ । बिरसा चौक में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जी की 123वीं पुण्यतिथि पर उनके आदमकद प्रतिमा पर आजसू जिला अध्यक्ष आलमगीर आलम के नेतृत्व में माल्यार्पण किया गया।
आजसू जिला अध्यक्ष आलमगीर आलम ने कहा कि भारतीय इतिहास में बिरसा मुंडा एक ऐसे नायक थे, जिन्होंने भारत के झारखंड में अपने क्रांतिकारी चिंतन से उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया। काले कानूनों को चुनौती देकर बर्बर ब्रिटिश साम्राज्य को सांसत में डाल दिया।
आलमगीर आलम ने कहा 15 नवंबर 1875 को झारखंड के आदिवासी दम्पति सुगना और करमी के घर जन्मे बिरसा मुंडा ने साहस की स्याही से पुरुषार्थ के पृष्ठों पर शौर्य की शब्दावली रची। उन्होंने हिन्दू धर्म और ईसाई धर्म का बारीकी से अध्ययन किया तथा इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि आदिवासी समाज मिशनरियों से तो भ्रमित है ही हिन्दू धर्म को भी ठीक से न तो समझ पा रहा है, न ग्रहण कर पा रहा है।
आजसू जिला अध्यक्ष आलमगीर आलम ने कहा बिरसा मुंडा सही मायने में पराक्रम और सामाजिक जागरण के धरातल पर तत्कालीन युग के एकलव्य और स्वामी विवेकानंद थे। ब्रिटिश हुकूमत ने इसे खतरे का संकेत समझकर बिरसा मुंडा को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया। वहां अंग्रेजों ने उन्हें धीमा जहर दिया था। जिस कारण वे 9 जून 1900 को शहीद हो गए। बिरसा मुंडा की गणना महान देशभक्तों में की जाती है।
श्रद्धांजलि देने वाले में इशकपुर पंचायत अध्यक्ष सफीकुल इस्लाम, सीता पहाड़ी पंचायत अध्यक्ष अजहरूल इस्लाम, नवदा पंचायत अध्यक्ष ईशा शेख, वरिष्ठ कार्यकर्ता पूर्व नवादा मुखिया राहुल, सलाउद्दीन शेख, गनी शेख, मुसर्रफ शेख, फारूक शेख, कादिर शेख साकिब शेख प्रखंड कोषाध्यक्ष मुशर्रफ हुसैन इत्यादि मौजूद थे।