पाकुड़: अंगिका समाज अंग, पाकुड़ के तत्वावधान में ‘अंगिका मिलन सह सम्मान समारोह – 2025’ का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर महेंद्र मिश्र, डॉ. बिंदुभूषण, राहुल कुमार, रमेश चंद्र सिंह, सिताबी राय, भागीरथ तिवारी, डॉ. मनोहर कुमार, कैलाश झा, संजय कुमार शुक्ला सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
अंगिका समाज का भव्य स्वागत और अतीत पर चर्चा
समारोह में प्रदेश उपाध्यक्ष भागीरथ तिवारी ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने समस्त आगंतुकों का हार्दिक अभिनंदन करते हुए अंगिका समाज के अतीत और वर्तमान पर विशेष चर्चा की। इस दौरान उन्होंने समाज की सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक योगदान और आधुनिक चुनौतियों पर विचार व्यक्त किए।
अंगिका समाज की उपलब्धियां और समाजसेवा
सचिव संजय कुमार शुक्ला ने वर्ष 2024-25 में किए गए कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अंगिका समाज ने कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं, जिनमें –
- नारायण सेवा के तहत जरूरतमंदों की सहायता।
- गरीब कन्याओं की शादी में सहयोग प्रदान करना।
- अनाथालयों में भोजन उपलब्ध कराना।
- स्वास्थ्य सहायता कार्यक्रम चलाना।
- योग कक्षाओं का आयोजन करना।
इन सभी गतिविधियों के माध्यम से समाज ने अपने सामाजिक दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया है।
अंग देश का ऐतिहासिक महत्व
सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक महेंद्र मिश्र ने अपने संबोधन में अंग देश के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि –
- बाल्मीकि रामायण के अनुसार त्रेता युग में अंग देश के राजा रोमपाद थे, जो राजा दशरथ के मित्र थे।
- द्वापर युग में दुर्योधन ने कर्ण को अंग देश का राजा बनाया था।
- अंग देश की राजधानी भागलपुर थी और इसका प्रमाण भागलपुर का कर्णगढ़ है।
- सुपौल के समदा क्षेत्र में भी कर्णगढ़ का ऐतिहासिक प्रमाण मिलता है।
अंगिका भाषा का गौरवशाली अतीत
डॉ. बिंदुभूषण ने अपने संबोधन में बताया कि 7वीं सदी में वामन जयादित्य द्वारा रचित ग्रंथ ‘कोशिका वृत्ति’ में उल्लेख है कि प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में अंग महाजनपद था, और वहां की प्रचलित भाषा ‘आंगी’ थी, जो आगे चलकर अंगिका भाषा में परिवर्तित हो गई।
अंग लिपि और बौद्ध ग्रंथों में उल्लेख
सेवानिवृत्त सिविल अभियंता रमेश चंद्र सिंह ने बताया कि –
- बौद्ध ग्रंथ ‘ललित विस्तार’ में 64 लिपियों की सूची में अंग लिपि को चतुर्थ स्थान प्राप्त है।
- प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों के मानचित्र में भी अंग देश अंकित है।
अंग क्षेत्र की राजनीतिक और प्रशासनिक संरचना
राहुल कुमार ने कहा कि 1912 ई. में बंगाल से बिहार और उड़ीसा को भाषा के आधार पर अलग किया गया।
- तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने बिहार को चार जिलों में विभाजित किया, जिनमें एक भागलपुर था।
- भागलपुर के अंतर्गत ही अंग जनपद शामिल था।
अंगिका क्षेत्र और संताल परगना का गठन
भाजपा नेता हिसाबी राय ने अपने संबोधन में बताया कि –
- 1790 ई. में इस क्षेत्र का एक भाग ‘जंगलतरी’ के नाम से जाना जाता था, जिसे अब हम संताल परगना के नाम से जानते हैं।
- मिदनापुर, बांकुड़ा, बीरभूम, और सिंहभूम से जनजातियों को लाकर यहां बसाया गया था।
- 1829 में भाषाई आधार पर चार प्रमंडल बनाए गए, और भागलपुर प्रमंडल के अंतर्गत संताल परगना को जिला घोषित किया गया।
अंगिका भाषा और संस्कृति को जीवंत बनाए रखने का संकल्प
भाजपा नेता दुर्गा मरांडी ने कहा कि अंग प्रदेश और अंगिका भाषा अत्यंत प्राचीन है, और वर्तमान में यह बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के विभिन्न प्रमंडलों में फैली हुई है।
सेवानिवृत्त रेलवे गार्ड सिताबी राय ने समाज को अंगिका भाषा, संस्कृति और सभ्यता को जीवंत बनाए रखने के लिए संगठित होकर कार्य करने का आह्वान किया।
अंगिका समाज द्वारा दिए गए प्रतिष्ठित सम्मान
झारखंड प्रदेश अंगिका समाज, रांची और अंगिका समाज अंग, जिला इकाई, पाकुड़ की जिला कार्यकारिणी समिति द्वारा चयनित महानुभावों को विभिन्न सम्मान प्रदान किए गए।
अंग गौरव रत्न सम्मान – 2025
- डॉ. बिंदुभूषण
- राहुल कुमार
अंग साहित्य सेवा भूषण सम्मान – 2025
- महेंद्र मिश्र (सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य, श्यामनगर, पाकुड़)
अंगिका सेवा रत्न सम्मान – 2025
- रमेश चंद्र सिंह (सेवानिवृत्त सिविल अभियंता, दुर्गा कॉलोनी, पाकुड़)
- सिताबी राय (सेवानिवृत्त रेलवे गार्ड, रेलवे कॉलोनी, पाकुड़)
- रंजू ठाकुर (सामाजिक कार्यकर्ता, छोटी अलीगंज, पाकुड़)
अंगिका कला रत्न सम्मान – 2025
- रुमा सिंह (कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान, सिंहवाहिनी, राजा पाड़ा, पाकुड़)
होली मिलन समारोह ने बढ़ाई कार्यक्रम की भव्यता
सम्मान समारोह के उपरांत होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान –
- श्याम झा, अजय झा, राजीव झा, रमेश चंद्र सिंह, संजय शुक्ला, मिथिलेश सिन्हा, नंद किशोर सिन्हा सहित अन्य संगीतकारों ने होली गीतों और वाद्य यंत्रों से समारोह को मनोरम बना दिया।
- कलाकृति केंद्र, पाकुड़ की निदेशिका रुमा सिंह की शिष्या तान्या सिंह ने ‘अंग प्रदेश की गाथा’ पर नृत्य प्रस्तुत किया।
- अनु ने शिव होली नृत्य (गीत – ‘मशाने में होली’), और नम्रता पांडेय ने ‘सिया चलली अवध की ओर’ पर नृत्य कर सभी का मन मोह लिया।
समापन और सामूहिक राष्ट्रगान
कार्यक्रम का समापन सामूहिक राष्ट्रगान के साथ किया गया। इसके बाद सभी अतिथियों के लिए शुद्ध शाकाहारी होली विशेष भोज का आयोजन किया गया, जिसका सभी ने आनंद लिया।
इस भव्य आयोजन में अंगिका समाज सहित अन्य समुदायों के दर्जनों गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। यह समारोह अंगिका समाज के उत्थान और एकजुटता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ।