झालसा के निर्देश पर लोक अदालत का आयोजन
पाकुड़। झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा), रांची के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़ के तत्वावधान में मासिक लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस लोक अदालत का आयोजन पाकुड़ व्यवहार न्यायालय परिसर में किया गया, जिसका उद्देश्य था जन-सामान्य को त्वरित और सुलभ न्याय प्रदान करना। यह लोक अदालत न्यायिक प्रक्रिया के वैकल्पिक समाधान प्रणाली (ADR) के तहत एक सराहनीय पहल के रूप में देखी जा रही है।
न्यायिक पदाधिकारियों की सक्रिय भूमिका में हुआ आयोजन
इस मासिक लोक अदालत की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़, शेष नाथ सिंह ने की। उनके मार्गदर्शन में यह लोक अदालत सुनियोजित और प्रभावी ढंग से आयोजित की गई। कार्यक्रम में प्रमुख न्यायिक पदाधिकारियों की भी सक्रिय भागीदारी रही, जिससे इसका संचालन सुचारू रूप से संभव हो सका।
नौ बेंचों का गठन, 43 वादों का निष्पादन
इस विशेष लोक अदालत के तहत कुल नौ बेंचों का गठन किया गया, जिनके माध्यम से कुल 43 मामलों का निष्पादन किया गया। इनमें ऐसे वाद शामिल थे जो मध्यम, पारिवारिक, आपसी सहमति और समझौते पर आधारित विवादों से जुड़े हुए थे। सीमित संसाधनों में त्वरित न्याय की दृष्टि से यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि रही।
विवादों के समाधान से जनता को राहत
लोक अदालत के माध्यम से निपटाए गए मामलों में दोनों पक्षों की सहमति और संतोष सुनिश्चित किया गया, जिससे जनता को लंबी कानूनी प्रक्रिया से मुक्ति मिली। इससे न्याय प्रणाली पर दबाव कम हुआ और वादियों को समय और धन की बचत का लाभ भी प्राप्त हुआ। इस प्रक्रिया से न्यायिक संतुलन और समाजिक सौहार्द को भी बल मिला।
प्रमुख न्यायिक अधिकारियों की उपस्थिति ने बढ़ाया महत्व
इस अवसर पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह के साथ-साथ प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय सुधांशु कुमार शशि, अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कुमार क्रांति प्रसाद, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी संजीत कुमार चंद्रा, जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव रूपा बंदना किरो, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सदिश उज्जवल बेक तथा प्रभारी न्यायाधीश विजय कुमार दास की उपस्थिति कार्यक्रम को और अधिक गंभीरता और गरिमा प्रदान कर रही थी।
वादियों और प्रतिवादियों की संतुष्टि से बढ़ा लोक अदालत का महत्व
लोक अदालत में उपस्थित वादियों और प्रतिवादियों ने समाधान प्रक्रिया से संतोष जताया और इस प्रकार के आयोजन को न्याय तक पहुंच का सरल और प्रभावी माध्यम बताया। लोक अदालत की यह सफलता यह दर्शाती है कि विवादों का समाधान केवल कोर्ट रूम तक सीमित नहीं, बल्कि आपसी समझदारी और मध्यस्थता से भी न्याय प्राप्त किया जा सकता है।
न्याय सुलभता की दिशा में सार्थक पहल
यह मासिक लोक अदालत न्यायिक प्रक्रिया को सहज, तेज़ और मानवोचित बनाने की दिशा में एक और सफल प्रयास रहा। इससे न केवल न्याय प्रणाली पर विश्वास मजबूत हुआ, बल्कि आम नागरिकों में कानूनी जागरूकता और भरोसे की भावना भी बढ़ी।
इस प्रकार, पाकुड़ जिला न्यायालय द्वारा आयोजित यह मासिक लोक अदालत न्याय के लोकतांत्रिक और सुलभ रूप को सशक्त करने की दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण बनकर उभरी है।