रांची । बिरसा सिंचाई कूप योजना में धरातल में कुंआ दिखे, कागजी खेल नहीं। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने उक्त बातें ग्रामीण विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा के दौरान कही। मुख्यमंत्री ने कहा इसमें लापरवाही ठीक नहीं। मालूम हो कि राज्य सरकार एवं मनरेगा के अभिसरण से बिरसा सिंचाई कूप संवर्धन योजना के तहत कुल एक लाख कूपों का निर्माण विभिन्न चरणों में किया जाना है। लेकिन मुख्यमंत्री इसके कार्य प्रगति को लेकर खुश नजर नहीं आए और जल्द से जल्द योजना का लाभ ग्रामीणों को देने का आदेश दिया है। मालूम हो कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में इस योजना का शुभारंभ किया गया है, ताकि जल संरक्षण को बल मिल सके एवं वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति लोगों में जागरूकता का संचार हो सके।
दो चरण में कुआं निर्माण का लक्ष्य
योजना के तहत प्रथम चरण में 30 एवम द्वितीय चरण में 70 हजार कूप का निर्माण किया जाना है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 50 हजार एवं 15 नवंबर 2024 तक शेष 50 हजार कूप का निर्माण कार्य पूर्ण करेगी। योजना में बिरसा हरित ग्राम, कृषि कार्य से संबंधित लाभुक, बाबा साहेब आंबेडकर आवास योजना के लाभार्थी को प्राथमिकता देने की योजना है। साथ ही, निर्मित कुओं की स्थिरता एवं उपयोगिता बनाए रखने के लिए कुआं के आसपास जल संचयन और जल एवं मृदा संरक्षण के कार्य बड़े पैमाने पर करने का निर्देश है।
सभी जिलों में होगा कुआं का निर्माण
प्रथम चरण के अबतक 16936 कुआं की स्वीकृति मिल चुकी है, 3822 कुआं का निर्माण कार्य जारी है। सबसे अधिक गिरिडीह में 8386, रांची में 7314, पलामू के 6460, हजारीबाग में 5973, पश्चिमी सिंहभूम में 5212, दुमका में 5022, बोकारो के 4876, देवघर में 4729, गोड्डा में 4608, पूर्वी सिंहभूम में 4291, साहेबगंज में 3949, गुमला में 3876, धनबाद में 3901, चतरा में 3706, पाकुड़ में 3120, जामताड़ा में 2877, लातेहार में 2804, कोडरमा में 2560, रामगढ़ में 2438, सिमडेगा में 2292 और लोहरदगा में 1606 कुआं निर्माण लक्ष्य 15 नवंबर 2024 तक रखा गया है।