जिले में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को सफल बनाने के उद्देश्य से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में नुक्कड़ नाटक की टीम को विशेष रूप से शामिल किया गया, जो जिले के विभिन्न प्रखंडों में जाकर लोगों को जागरूक करेगी। इस अभियान के तहत 10 फरवरी से जिले में बड़े पैमाने पर दवा वितरण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा, जिसमें लोगों को फाइलेरिया से बचाव हेतु दवा सेवन कराई जाएगी।
फाइलेरिया जागरूकता को लेकर विस्तृत जानकारी दी गई
इस कार्यशाला में पिरामल फाउंडेशन के प्राभास रंजन ने फाइलेरिया से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि इस अभियान में MDA-IDA दवा वितरण प्रक्रिया को अपनाया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि गर्भवती महिलाओं, दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, असाध्य बीमारी से ग्रसित एवं गंभीर रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को यह दवा नहीं दी जाएगी।
आयु वर्ग के अनुसार दवा सेवन का निर्देश
फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को एल्बेंडाजोल की गोली दी जाएगी। इसके अतिरिक्त डीईसी एवं आइभरमेक्टीन की खुराक भी निर्धारित की गई है।
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दो से पांच वर्ष के बच्चों को डीईसी की एक गोली दी जाएगी।
छह से चौदह वर्ष के बच्चों को डीईसी की दो गोलियां दी जाएंगी।
पंद्रह वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को डीईसी की तीन गोलियां दी जाएंगी।
आइभरमेक्टीन की खुराक ऊंचाई के अनुसार दी जाएगी, जिसमें 90 सेंटीमीटर से कम ऊंचाई वालों को यह दवा नहीं दी जाएगी।
90 से 119 सेंटीमीटर ऊंचाई वालों को एक गोली, 120 से 140 सेंटीमीटर ऊंचाई वालों को दो गोलियां, 141 से 158 सेंटीमीटर ऊंचाई वालों को तीन गोलियां तथा 159 सेंटीमीटर से अधिक ऊंचाई वालों को चार गोलियां दी जाएंगी।
लोगों के सामने ही कराना होगा दवा का सेवन
कार्यशाला में यह निर्देश दिया गया कि दवा वितरण के दौरान यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी लोग स्वास्थ्य कर्मियों की निगरानी में ही दवा का सेवन करें। इससे यह पक्का किया जा सकेगा कि सभी लक्षित लोग फाइलेरिया के खिलाफ सुरक्षा प्राप्त कर सकें।
नुक्कड़ नाटक से लोगों को किया जाएगा जागरूक
फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए नुक्कड़ नाटक की टीम को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई। यह टीम जिले के सभी प्रखंडों में जाकर लोगों को फाइलेरिया के दुष्प्रभाव और इससे बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करेगी। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से गांवों और कस्बों में सरल भाषा में संदेश प्रसारित किया जाएगा, जिससे लोग अधिक से अधिक संख्या में इस अभियान से जुड़ सकें।
कार्यशाला में मौजूद अधिकारी एवं विशेषज्ञ
इस कार्यशाला में भीबीडी सलाहकार प्रभारी राजू अग्रवाल, जनसंपर्क कार्यालय से इकाई लिपिक राजेश कुमार, कंप्यूटर ऑपरेटर भूषण कुमार एवं नुक्कड़ नाटक की टीम उपस्थित रही। सभी ने फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर अपने सुझाव एवं विचार साझा किए और इस अभियान को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्धता जताई।
फाइलेरिया उन्मूलन के प्रति लोगों को जागरूक करने की अपील
अधिकारियों ने अपील की कि जिले के सभी लोग इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लें और अपने परिवार तथा समुदाय के अन्य सदस्यों को भी दवा सेवन के लिए प्रेरित करें। फाइलेरिया एक गंभीर रोग है, लेकिन समय पर दवा सेवन करने से इसे पूरी तरह से रोका जा सकता है। नुक्कड़ नाटक, प्रचार-प्रसार और स्वास्थ्य कर्मियों के माध्यम से लोगों को इस अभियान से जोड़ने की रणनीति बनाई गई है।
फाइलेरिया को जड़ से खत्म करने की दिशा में कदम
यह अभियान पाकुड़ जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन मिलकर इसे सफल बनाने में जुटे हैं। यदि लोग इस अभियान में सहयोग करें और दवा का सेवन करें, तो आने वाले वर्षों में फाइलेरिया पूरी तरह समाप्त हो सकता है।
फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सरकार और प्रशासन की यह पहल अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके तहत दवा वितरण, नुक्कड़ नाटक और व्यापक प्रचार-प्रसार के माध्यम से लोगों को इस बीमारी से बचाने का प्रयास किया जा रहा है। यह आवश्यक है कि हर व्यक्ति इस अभियान को गंभीरता से ले और निर्धारित खुराक का सेवन करे ताकि पाकुड़ जिला फाइलेरिया मुक्त बन सके।