Monday, November 25, 2024
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बचपन की रक्षा के लिए बाल विवाह, बाल श्रम के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम

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पाकुड़। झालसा रांची के निर्देशानुसार, जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ के तत्वाधान में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़, बाल कृष्ण तिवारी के निर्देश पर, सचिव शिल्पा मुर्मू के मार्गदर्शन में जागरूकता सह आउटरीच कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।

जागरूकता कार्यक्रम गांवों तक पहुंचा

इस कार्यक्रम के अंतर्गत, भवानीपुर और हिरानंदनपुर पंचायत के अंतर्गत उत्क्रमिक मध्य विद्यालय, देवपुर, महुवाडंगा, निश्चिंतपुर समेत अन्य गांवों में लगभग एगारह सौ लोगों को जागरूक किया गया। इस जागरूकता प्रयास का मुख्य उद्देश्य बाल श्रम, मजदूर पलायन, और बाल विवाह जैसे सामाजिक दुर्भावनाओं पर प्रकाश डालना था।

बाल विवाह: समाज के लिए अभिशाप

प्रमुख जागरूकता कार्यक्रम में पीएलवी टीम के अमूल्य रत्न रविदास ने बताया कि किसी लड़की या लड़के की शादी 18 साल की उम्र से पहले होना बाल विवाह कहलाता है, और ऐसे गैर कानूनी विवाह कराने या करने से बचने की आवश्यकता है। बाल विवाह का समाज में दुष्परिणाम होते है, जो समाज के लिए अभिशाप है।

बाल विवाह के दुष्प्रभाव

मोकमाउल शेख ने बताया कि बाल विवाह बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। बच्चों को कम उम्र में शादी करने से उनके जीवन को खतरे में डाला जाता है, और समाज में पिछड़ापन को बढ़ावा मिलता है।

कानूनी संरक्षण की महत्वपूर्ण आवश्यकता

खुदू राजवंशी ने कहा कि हमारे देश के कानून में लड़के और लड़की की शादी के लिए एक निश्चित उम्र तय की गई है। कम उम्र में विवाह लगभग हमेशा लड़कियों को शिक्षा या अर्थपूर्ण कार्यों से वंचित करता है जो उनकी निरंतर गरीबी का कारण बनता है। अगर ऐसा कही हो रहा हो तो प्रशासन, बाल संरक्षण या जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ को सूचित करे।

अवैध विवाह से बचाव

पीएलवी अजारूल शेख ने बताया कि बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करता है, जिससे उनपर हिंसा, शोषण और यौन शोषण का खतरा बना रहता है। इसके अलावे, महिला सशक्तिकरण और पीड़ित मुवाजा के लिए विधिक जानकारी भी प्रदान की गई।

जागरूकता कार्यक्रम में भागीदारी

मुख्य रूप से पीएलवी खुदू राजवंशी, मोकमाउल शेख, अमूल्य रत्न रविदास, अजारूल शेख, उत्क्रमिक मध्य विद्यालय हिरानंदनपुर के प्रधानाध्यापक संतोष कुमार पोहार एवं ग्रामीण उपस्थित रहे।

इस जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से, समाज में बाल विवाह और बच्चों के अधिकारों का संरक्षण करने के लिए कदम उठाया गया है, और इसका उद्देश्य समाज में सुधार और समृद्धि को प्राप्त करना है।

इस जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से, समाज को बाल विवाह के नकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूक किया जा रहा है और विधिक संरक्षण की महत्वपूर्ण आवश्यकता को बताया जा रहा है। इसके माध्यम से, बच्चों के अधिकारों का संरक्षण किया जा रहा है और समाज में सुधार और समृद्धि को प्राप्त करने का उद्देश्य प्राप्त किया जा रहा है।

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