रांची. अगर आपके साथ कोई साइबर फ्रॉड होता है तो निश्चित तौर पर इससे आपका आर्थिक नुकसान होगा ही. लेकिन, बड़ी बात यह है कि आपके साथ साइबर फ्रॉड कर जमा किए गए पैसों का इस्तेमाल अब टेरर फंडिंग के लिए भी किया जा सकता है. यानि कि आपके पैसों को उड़ाने के खेल में अब सिर्फ छोटे-मोटे साइबर अपराधी नहीं बल्कि बड़े-बड़े आतंकी संगठन भी शामिल हो चुके हैं. कुछ ताजा मामलों के अनुसार अब साइबर ठगी के पैसों का इस्तेमाल देश-विरोधी गतिविधियों के लिए किया जाने लगा है. दरअसल साइबर अपराध की दुनिया में आजकल एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है. इस ट्रेंड के अनुसार अब बड़े प्लेयर्स भी साइबर क्राइम के खेल में शामिल हो गए हैं, जो न सिर्फ हमारे देश बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा है.
झारखंड की राजधानी रांची में पिछले दिनों एक मामला सामने आया जिसमें एक व्यक्ति को क्रिप्टो करेंसी को दो तीन महीनों मे दोगुना करने का लालच दिया गया और उनसे 1 करोड़ 33 लाख की साइबर ठगी कर ली गई. ये शख्स एक निजी कंपनी मे काफी बड़े ओहदे पर कार्यरत हैं. शख्स ने अपने पैसे क्रिप्टो करेंसी मे इनवेस्ट किए थे. इसी दौरान व्हाट्सएप्प (Whatsapp) के जरिए एक महिला ने उनसे संपर्क साधा और क्रिप्टो करेंसी को दोगुना करने का झांसा दिया. उन्हें एक ग्रुप में भी जोड़ दिया गया. लालच मे पीड़ित ने अपने क्रिप्टो करेंसी को साइबर अपराधियों के वॉलेट में डाल दिया. लेकिन, पैसे दोगुने तो नहीं हुए बल्कि पूरी की पूरी कमाई साइबर अपराधियों के खाते मे चली गई.
धनबाद में भी सामने आया मामला
इसके अलावा धनबाद के भी एक व्यक्ति के साथ 1 करोड़ रुपये की ठगी की गयी. हालांकि, यह ठगी क्रिप्टो करेंसी के जरिए नहीं हुई. बल्कि इसकी वजह बनी मैट्रीमोनियल साइट. इन मामलों की जांच झारखंड सीआईडी की साइबर सेल ने की, मामला काफी जटिल था. इस कारण I4C की मदद ली गई और मनी ट्रेल की जांच की गई तो पता चला कि पैसे ईरान के समर्थन वाले आतंकी संगठन के पास चले गए हैं. जहां से शायद ही रिकवरी संभव हो.
हिजबुल्लाह के पास चला गया था पैसा
मिली जानकारी जानकारी के अनुसार यह पैसा हिजबुल्लाह के पास गया है. हिजबुल्लाह लेबनान का एक शिया राजनीतिक और अर्द्धसैनिक संगठन है. हिजबुल्लाह लेबनान के नागरिक युद्ध के दौरान स्थापित किया गया था. हिजबुल्लाह का नेता हसन नसरूल्लाह है. 1982 में इजराइल ने जब दक्षिणी लेबनान पर आक्रमण किया था तब हिज़्बुल्लाह संगठन अस्तित्व में आया था (आधिकारिक रूप से 1985) इस संगठन को ईरान और सीरिया का समर्थन प्राप्त है और उसकी अपनी सरकार है. इसके साथ ही कुछ साइबर अपराध के पैसे चीन तक भी गए हैं.
CID के DG ने लोगों से की यह अपील
वहीं इस मामले के अनुसंधान की जानकारी देते हुए झारखंड सीआईडी (CID) के डिजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि पैसे गलत विदेशी एजेंसियों के हाथों मे चले गए है. हालांकि उन्होंने बताया की अभी भी अनुसंधान जारी है. वहीं उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी अगर कुछ समय मे क्रिप्टो करेंसी को दोगुना करने की बात करता है तो फेक है. हाल के दिनों में सीआईडी को ऐसी कई सूचनाएं मिली है जिसकी जांच की जा रही है. अन्य लोगों के पास भी कोई सूचना है तो वे बताएं ताकि कार्रवाई की जा सके.
क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट
जब इस बारे में साइबर एक्सपर्ट विनीत कुमार से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि वर्तमान में कई बड़े अंतराष्ट्रीय संगठन साइबर अपराध में लिप्त है और लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं. वही उन्होंने बताया कि कई बार लोग साइबर अपराध के मामले को दर्ज नहीं कराते. लेकिन, आतंकी संगठन और गलत संगठनों की साइबर क्राइम मे एंट्री से छोटे से छोटे साइबर अपराध को इग्नोर करना लोगों के लिए महंगा पड़ सकता है. लोग अनजाने में इनके शिकार बनते हैं और अगर वह पुलिस कंप्लेन नहीं करते हैं तो ऐसे में वे बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं. बहरहाल साइबर मे आतंकियों और संगठित अपराध की एंट्री ने लोगों के साथ साथ सुरक्षा एजेंसियों की भी मुश्किलें बढ़ा दी है. ऐसे मे सावधानी ज्यादा ही जरूरी है.
Source link