पाकुड़। समाहरणालय परिसर से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन जिला प्रशासन की ओर से किया गया था। जागरूकता रथ जिले के सभी प्रखंडों में घूमकर लोगों को बालिका संरक्षण, शिक्षा और सशक्तिकरण के प्रति जागरूक करेगा। इस अवसर पर उपायुक्त मनीष कुमार और पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने लोगों को बेटियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने और उन्हें आगे बढ़ाने की शपथ दिलाई।
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के 10 वर्ष पूरे
कार्यक्रम में उपायुक्त ने बताया कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के सफल 10 वर्ष पूरे हो गए हैं। यह न केवल बेटियों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए गर्व की बात है। उन्होंने बेटियों को परिवार और समाज के लिए सबसे बड़ी ताकत बताते हुए कहा कि बेटियां बेटों से कहीं अधिक जिम्मेदार और जुड़ी होती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शादी के बाद भी बेटियां अपने माता-पिता और परिवार से गहराई से जुड़ी रहती हैं, जिससे समाज में उनकी विशेष भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
जागरूकता रथ का उद्देश्य और कार्यक्षेत्र
उपायुक्त मनीष कुमार और पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने जागरूकता रथ को रवाना करने के बाद अभियान के उद्देश्यों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इस रथ का मुख्य उद्देश्य बाल लिंगानुपात में सुधार करना और बालिकाओं के प्रति समाज की मानसिकता में बदलाव लाना है। रथ जिले के प्रत्येक प्रखंड, पंचायत, गांव, हाट-बाजार और वार्डों में जाकर लोगों को इस अभियान के महत्व के बारे में जानकारी देगा। इसके जरिए यह संदेश दिया जाएगा कि बेटियों को शिक्षित करना और सशक्त बनाना समाज के विकास के लिए अनिवार्य है।
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लोगों को दी गई शपथ
इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को बेटियों को बचाने, पढ़ाने और सशक्त बनाने की शपथ दिलाई गई। शपथ में यह भी कहा गया कि समाज में बेटियों को समान अवसर और अधिकार दिए जाएं। उपायुक्त ने कहा कि अगर हम बेटियों को शिक्षित करेंगे, तो समाज में सकारात्मक बदलाव आएंगे और हर परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।
बेटियों के प्रति सोच बदलने की जरूरत
कार्यक्रम के दौरान उपायुक्त ने समाज में लड़कियों के प्रति भेदभाव को समाप्त करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बेटियां आज हर क्षेत्र में अपनी क्षमता और कौशल का प्रदर्शन कर रही हैं। चाहे वह शिक्षा हो, खेल हो, विज्ञान हो या कला, बेटियां आज बेटों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। ऐसे में समाज को बेटियों को केवल एक जिम्मेदारी के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि उन्हें संपत्ति और गर्व के रूप में स्वीकार करना चाहिए।
समाज में जागरूकता लाने की पहल
पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने कहा कि यह जागरूकता रथ केवल एक प्रतीकात्मक पहल नहीं है, बल्कि इसे समाज में बदलाव लाने का एक प्रभावी माध्यम बनाया गया है। रथ के माध्यम से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लोगों को बेटियों के महत्व को समझाने की कोशिश की जाएगी। यह रथ नुक्कड़ नाटक, जागरूकता सत्र और सूचना सामग्री के जरिए लोगों को संदेश देगा।
यह जागरूकता रथ अभियान बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना को नए आयाम देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कार्यक्रम केवल सरकार की पहल नहीं है, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह इस संदेश को आगे बढ़ाए। इस तरह की पहल से न केवल बेटियों के प्रति समाज की सोच बदलेगी, बल्कि उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद मिलेगी।