Monday, May 12, 2025
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गया में भूदान की जमीन बदली बहेलियों की जिंदगी,पक्षियों का शिकार छोड़ अब उगा रहे हैं फल

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कुंदन कुमार/गया. बचपन में आपने एक कहानी सुनी होगी बहेलिया आएगा, जाल बिछाया, दाना डालेगा. इस कहानी में जिस बहेलिया समुदाय को पक्षियों के लिए खतरा बताया गया है, उसी समुदाय से आने वाले करीब 40 परिवार आज पुश्तैनी धंधे से बाहर निकलकर पक्षियों को बचाने की मुहिम में लगे हुए हैं. कभी चिड़ियां का शिकार करने वाले गया जिले के 40 से ज्यादा बहेलिया परिवार पक्षी का शिकार छोड़ चुके हैं.यह परिवार अब भूदान में मिली 40 एकड़ जमीन पर फलों की खेती कर रहे हैं. अब इनके बागीचे में कई तरह के पक्षी स्थायी बसेरा बना लिए हैं.

जी हां, यह पूरी कहानी गया जिले के परैया प्रखंड के सर्वोदय नगर की है. कहानी बहेलिया समाज की है जो कभी पक्षियों का शिकार करते थे.उनकी जान ले लेते थे लेकिन आज वह पक्षियों के संरक्षक बन गए हैं. हृदय में प्रकृति प्रेम बढ़ा तो उनका पक्षियों के प्रति भी प्रेम बढ़ गया. खानाबदोश जिंदगी जीने वाले बहेलिया सिर्फ स्थिर गृहस्थ ही नही बल्कि एक उन्नत किसान में बदल गए. उनके समाज ने करीब 80 एकड़ जमीन पर फलदार वृक्षों का बगीचा लगा दिया है. इसमें आम, अमरूद, कटहल, बड़हर, लीची, शरीफा, बैर, जामुन जैसे फलों के वृक्ष हैं. अब तो यहां का बगीचा आकर्षण का केंद्र बन गया है. जहां जिले भर के लोग इस बागीचे को देखने पहुंचते हैं.

बागवानी से जुड़े बहेलिया अब समझे पक्षियों के महत्व

बागवानी से जुड़े बहेलिया अब पक्षियों के महत्व को समझ गए है. इसलिए अब वह उन पक्षियों को संरक्षण देते हैं. बागीचे मे मौजूद विभिन्न पक्षी फलदार पेड़ों में लगें कीटों को खाकर उनकी रक्षा करते हैं. जिनसे फूल फल सुरक्षित रहते है. ऐसे में पक्षीउनकी बागवानी को सुदृढ बना रहे हैं. जिससे इन लोगों को प्रतिवर्ष फलों से अच्‍छी आमदनी होती है. कहा जाता है प्रतिदिन दोपहिया व चार पहिया सवार आकर सर्वोदय नगर से बड़ी मात्रा में आम, जामुन और सीजनल फल ले जाते हैं. पुरूष व महिला बहेलिया परैया और गुरारु बाजार को निकल जाते हैं. जहां उनके फलों की अच्छी कीमत मिल जाती है. सर्वोदय नगर के फलों की मांग टिकारी तथा गया के बाजारों तक हो रही है.

बंजर भूमि में लाई हरियाली

सर्वोदय नगर के रहने वाले कैलाश राम बताते हैं कि हम लोग बहेलिया समुदाय से हैं. हमारा समुदाय पक्षियों के शिकार करने के लिए जाना जाता है, लेकिन सर्वोदय नगर की कहानी 1960 से शुरू होती है. जब इनके पूर्वज राम रूप राम सब्जी बेचने के लिए यहां आए थे. तभी उन दिनों के मुखिया ने इनसे अनुरोध किया कि आप लोग इस जमीन पर बसिए और खेती-बाड़ी कर अपना गुजारा कीजिए. मुखिया के अनुरोध पर कोंच प्रखंड के आंती गांव से 5 लोग इस गांव में आए.उन्हें भूदान की 40 एकड़ बंजर जमीन दी गई. बंजर जमीन पर उन्होंने विभिन्न तरह के फलदार वृक्ष लगाने शुरू किए.आज यहां 80 एकड़ में विभिन्न तरह के फल के पेड़ पौधे लगे हुए हैं. हमारा समुदाय अब पक्षियों का शिकार छोड़ पिछले 60 वर्षों से फल की खेती कर रहे हैं.इसी से अपना गुजारा कर रहे हैं.

5 लोग से बढ़कर 40 हुए

कैलाश राम बताते हैं कि पक्षियों का शिकार करते थे तब कभी-कभी भूखे भी सोना पड़ता था और वह काम अच्छा नहीं था. लेकिन जब से उस काम को छोड़कर खेती करना शुरू किए तब से कभी भूखे पेट नहीं रहना पड़ा और व्यवसाय भी अच्छा चल रहा है. 5 लोग से बढ़कर आज हम लोग 40 सदस्य तक पहुंच गए हैं और सरकार के द्वारा सभी लोगों को आवास योजना का लाभ भी मिल चुकीहै. सरकार से एक निवेदन है कि गांव में एक स्वास्थ्य केंद्र खोल दें ताकि लोगों को इलाज के लिए दूर न जाना पड़े.

Tags: Bihar News, Gaya news, Local18

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