जिला विधिक सेवा प्राधिकार की पहल के तहत सफल मध्यस्थता
पाकुड़। झालसा रांची के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़ द्वारा चलाए जा रहे विशेष मध्यस्थता अभियान ने आज एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार शेष नाथ सिंह के मार्गदर्शन और सचिव रूपा बंदना किरो की देखरेख में दो ऐसे वैवाहिक मामलों का समाधान किया गया, जिनमें दंपतियों के बीच लंबे समय से मतभेद चल रहे थे।
पहला मामला: सुनीता मुर्मू बनाम मंत्री मुर्मू
प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय रजनीकांत पाठक की उपस्थिति में पहला मामला सुनीता मुर्मू बनाम मंत्री मुर्मू, भरण पोषण वाद संख्या 247/25 पर सुनवाई की गई।
दंपति का एक 12 वर्षीय पुत्र भी है, जिसकी भविष्य की सुरक्षा और पारिवारिक माहौल को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों को शांति और समझदारी के साथ मध्यस्थता प्रक्रिया में शामिल किया गया। लगातार बातचीत और समझाइश के बाद दोनों पक्ष आपसी सहमति से एक साथ रहने के लिए तैयार हुए।
दूसरा मामला: अनुबती राजवंशी बनाम दुध कुमार राजवंशी
दूसरा मामला भरण पोषण वाद संख्या 214/25 के रूप में अनुबती राजवंशी बनाम दुध कुमार राजवंशी से संबंधित था। यह दंपति कई वर्षों से अलग-अलग रह रहे थे। मामले को सुलझाना चुनौतीपूर्ण था, मगर प्रधान न्यायाधीश रजनीकांत पाठक ने लगातार संवाद, संवेदनशीलता और धैर्य के साथ दोनों पक्षों को एक-दूसरे के दृष्टिकोण को समझने के लिए प्रेरित किया।
अंततः मध्यस्थता सफल रही और यह दंपति भी एक साथ रहने को तैयार हो गया।
मध्यस्थता का मानवीय पहलू और अदालत की भूमिका
दोनों मामलों में प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय रजनीकांत पाठक के अथक प्रयासों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने दंपतियों को समझाया कि पारिवारिक जीवन आपसी विश्वास, सम्मान और संवाद पर आधारित होता है, और बच्चों के भविष्य के लिए माता-पिता का साथ रहना अत्यंत आवश्यक है।
न्यायालय ने दोनों दंपतियों को आपसी विवाद से दूर रहने, एक-दूसरे का सम्मान करने, और वैवाहिक जीवन को नई शुरुआत देने का संदेश दिया।
सुलह के प्रतीक के रूप में माला पहनाकर किया एक-दूसरे को स्वीकार
मध्यस्थता के सफल परिणामस्वरूप दोनो दंपतियों ने एक-दूसरे को माला पहनाकर अपने रिश्ते की नई शुरुआत का प्रतीकात्मक संकेत दिया। यह क्षण बेहद भावनात्मक और सकारात्मक रहा, जिसे देखकर उपस्थित लोगों ने राहत और खुशी व्यक्त की।
परिवार और बच्चों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण कदम
मध्यस्थता के बाद न्यायाधीश ने दंपतियों को बताया कि मतभेद जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन इन्हें बातचीत और समझदारी से हल किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को स्वस्थ वातावरण देने के लिए माता-पिता का साथ रहना अत्यंत जरूरी है।
यह पहल न केवल दो परिवारों को फिर से मिलाने का माध्यम बनी, बल्कि जिले में विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा संचालित मध्यस्थता अभियान की प्रभावशीलता को भी दर्शाती है।
सफल मध्यस्थता अभियान का सार
आज के दोनों मामलों की सफलता से स्पष्ट है कि मध्यस्थता एक प्रभावी और मानवीय प्रक्रिया है, जो टूटते हुए रिश्तों को जोड़ सकती है और परिवारों को पुनः एकजुट कर सकती है। जिला विधिक सेवा प्राधिकार के प्रयास समाज में शांति, समझदारी और मानवता को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।


