देवघर. पिंडदान के लिए मलमास का माह सबसे उत्तम माना जाता है. उसमें भी अमावस्या का दिन सबसे खास होता है. इसलिए हिन्दू धर्म में मलमास अमवास्या का महत्व ज्यादा है. इस साल 19 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग आया है कि सावन में मलमास पड़ा है. अमावस्या के दिन मलमास की समाप्ति होगी, इसके बाद शुद्ध श्रावण की शुरुआत होगी. वहीं इस साल श्रावण मलमास की अमावस्या 16 अगस्त को है. इस दिन पूर्वजों के निमित्त पिंडदान और स्नान दान करने की परम्परा है. साथ ही भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर मुदगल ने लोकल 18 को बताया कि इस साल सावन माह में मलमास लगा है. यह बेहद शुभ संयोग है. इसलिए मलमास की अमावस्या को श्रावण मलमास अमावस्या भी कहते हैं. माना जाता है कि मलमास के महीने में बिहार के राजगीर में सभी देवी देवता एक महीने तक वास करते हैं और मलमास के अमावस्या के दिन वहां से विदा लेकर पुनः अपने स्थाई निवास स्थान पर चले जाते हैं.
पितरों को मोक्ष की प्राप्ति
श्रावण मलमास अमवास्या के दिन सुबह उठकर नदी में स्नान कर पिंडदान और श्राद्धक्रम करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. अमवास्या के दिन विशेष कर भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना करने से पितृदोष का निवारण होता है. भोले शंकार को पितृ प्रधान माना जाता है. अमवास्या के दिन भगवान शंकर की पूजा आराधना करने से सारे भगवान का पूजन हो जाता है.
भोलेनाथ पर करें इस फूल को अर्पण
16 अगस्त को श्रावण मलमास अमावस्या है. इस दिन विशेष कर भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक, शमीपत्ता और बेलपत्र अर्पण करने से सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है. जो भी पितृ दोष और शारीरिक कष्ट से परेशाान है,अमावस्या के दिन कनैल का फूल बाबा भोलेनाथ पर जरूर अर्पण करें. पितृदोष से मुक्ति मिलेगी. साथ ही शारीरिक कष्ट भी दूर होंगे.
क्या है शुभ मुहूर्त
श्रावण मलमास अमावस्या की तिथि 15 अगस्त दिन के 12 बजकर 03 मिनट से शुरू हो रही है. अगले दिन 16 अगस्त की दोपहर 02 बजकर 01 मिनट तक रहने वाला है. इसलिए उदयातिथि के अनुसार अमावस्या 16 अगस्त को मनाई जाएगी. वहीं पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अगस्त को प्रातःकाल से लेकर दोपहर 2 बजकर 1मिनट तक रहेगा.
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