Sunday, July 20, 2025
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Chandrayaan 3 Launch: चंद्रयान-3 लॉन्च के लिए ISRO ने कसी कमर, 13 जुलाई को GSLV Mark 3 रॉकेट रचेगा इतिहास!

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अंतरिक्ष में भारत निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है। इन दिनों चांद पर कई देशों की नजरें टिकी हैं। एक तरफ अमेरिका का नासा जहां अपना नया मिशन लॉन्च करने की तैयारी कर रही है और चांद पर फिर से मनुष्य को भेजने के लिए कमर कस चुकी है, वहीं चीन की नजरें भी चांद पर टिकी हैं। अब भारत भी चांद पर अपना नया मिशन लॉन्च करने जा रहा है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने इसकी पुष्टि कर दी है। यह मिशन चंद्रयान-3 के नाम से लॉन्च किया जाना है। रॉकेट का लॉन्च श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से किया जाएगा। इस मिशन के लिए GSLV Mark 3 लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल इसरो करने जा रही है। आइए बताते हैं इसके बारे में खास बातें। 

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने चंद्रमा पर नए मिशन की लॉन्च डेट की घोषणा कर दी है। यह मिशन चंद्रयान-3 होने वाला है जो 13 जुलाई को इसरो लॉन्च करेगी। इसका समय दोपहर 2.30 बजे का है। जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, यह भारत का चांद के लिए तीसरा मिशन है। हमारी सहयोगी वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में चंद्रयान-2 को आधी सफलता मिली थी। स्पेसक्राफ्ट चांद की कक्षा में स्थापित होने में कामयाब हो गया था लेकिन विक्रम लैंडर की लैंडिंग ठीक नहीं रही जिससे कि रोवर प्लान के मुताबिक सतह पर उतर नहीं पाया। 

ISRO के चंद्रयान-3 के लिए अधिकारी अबकी बार ज्यादा आश्वस्त नजर आ रहे हैं और उम्मीद से भरे भी। मिशन के मकसद की पहली परीक्षा चांद की सतह पर स्मूद लैंडिंग होगी। उसके बाद रोबोटिक रोवर को इस पर छोड़ा जाएगा, जो चांद के बारे में नई जानकारी और नमूने इकट्ठा करेगा। रॉकेट का लॉन्च श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से किया जाना है। इस मिशन के लिए GSLV Mark 3 लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल इसरो करने जा रही है। चांद पर रोवर उतारने वाले इस मिशन की लागत 615 करोड़ रुपये बताई गई है। 

चंद्रयान-3 मिशन सफल रहे, इसके लिए इसरो ने पहले ही पूरी तैयारी की है। इसके लिए गहन टेस्ट किए गए हैं और पूरी प्रोसेस को फेलप्रूफ बनाया गया है ताकि रिस्क कम से कम हों और मिशन सफल हो सके। ISRO ने इस बार मिशन में कुछ बदलाव किया है। चंद्रयान-2 मिशन की तरह ही इस बार लैंडर और रोवर तो होगा, लेकिन ऑर्बिटर नहीं होगा। प्रॉपल्शन मॉड्यूल को कम्युनिकेशन सैटेलाइट की तरह डिजाइन किया गया है जो कि लैंडर और रोवर को लेकर जाएगा। 

इसके अलावा चंद्रयान-3 में अबकी बार स्पेक्ट्रोपॉलरिमीट्री ऑफ हैबिटेबल प्लेनेट अर्थ (SHAPE) पेलोड को जोड़ा गया है। यह एक ऐसा उपकरण है जो चंद्रमा की कक्षा से ही धरती के स्पेक्ट्रल और पोलरीमिट्रिक डेटा को इकट्ठा करेगा। इससे पृथ्वी के बारे में वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। इसलिए देश और दुनिया की नजरें अब 13 जुलाई के दिन पर टिकी हैं जब भारत अपना तीसरा चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 लॉन्च करेगा। 

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