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पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, एक कार्यक्रम में बोलते हुए एस. सोमनाथ ने कहा कि लैंडर ‘विक्रम’ का पूरा डिजाइन इस तरह से बनाया गया है कि यह विफलताओं (failures) को संभालने में सक्षम होगा। सोमनाथ ने कहा, “अगर सब कुछ फेल हो जाता है। सभी सेंसर नाकाम हो जाते हैं। कुछ भी काम नहीं करता है। फिर भी यह (विक्रम) लैंडिंग करेगा। इसे इसी तरह डिजाइन किया गया है- हालांकि जरूरी है कि प्रणोदन प्रणाली (propulsion system) अच्छी तरह से काम करे।”
इसरो प्रमुख ने यह भी बताया कि चंद्रयान-3 की डी-ऑर्बिटिंग का काम कल यानी 9 अगस्त, 14 अगस्त और 16 अगस्त को किया जाएगा। आखिरी बार 6 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा को कम किया गया था। अभी चंद्रयान-3 की चांद से सबसे कम दूरी 170 किलोमीटर और सबसे ज्यादा दूरी 4313 किलोमीटर है। 14 जुलाई को लॉन्च हुआ मिशन 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया था। चंद्रयान-3 को चंद्रमा के करीब लाने के लिए 3 और डी-ऑर्बिटिंग होनी हैं।
इन्हें सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद इसरो की योजना 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर लैंड करने की है। गौरतलब है कि साल 2019 में इसरो का चंद्रयान-2 मिशन चांद पर लैंड नहीं कर पाया था। मिशन की कमियों से सीखते हुए स्पेस एजेंसी ने चंद्रयान-3 को फुलप्रूफ बनाने की कोशिश की है।
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