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कुंदन कुमार/गया. ग्रामीण क्षेत्रों में कम लागत के साथ ज्यादा मुनाफे वाले व्यवसाय बेहद तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. बटेर पालन भी इसी तरह का एक व्यवसाय है. बता दें कि बटेर पालन से किसान सिर्फ 30 से 40 दिनों में बढ़ियां मुनाफा कमा सकते हैं. मुर्गी पालन की तुलना में बटेर पालन काफी सस्ता व्यवसाय होता है. मुर्गियों के रख-रखाव में थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन बटेर पालन में ऐसा नहीं हैं. छोटे आकार और कम वजन की वजह से भोजन और जगह की आवश्यकता भी कम होती है. व्यवसाय में लागत भी काफी कम आती है.
बटेर का मांस मुर्गी के मुकाबले काफी स्वादिष्ट होता है और यह पौष्टिकता से भरपूर भी है. इसमें वसा की मात्रा न के बराबर होती है. हाल के वर्षों में बाजार में बटेर के अंडे और मांस की मांग काफी बढ़ी है. यही कारण है कि किसान बटेर पालन में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. बटेर पालन में सबसे अच्छी बात यह है कि मुर्गी और बत्तख पालन के मुकाबले लागत काफी कम आती है, जबकि मुनाफा ज्यादा होता है.
30 से 40 दिन में तैयार हो जाते हैं बटेर
एक बेटर को व्यस्क होने में 30 से 40 दिन लगते हैं. इसके बाद मादा बटेर अंडे देना शुरू कर देती है. बटेर के अंडे में फॉस्फोरस और आयरन की मात्रा अधिक होती है. शक्तिवर्धक गुणों के कारण इसे काफी पसंद किया जाता है और लोग चाव से खाते हैं. किसान खेती के साथ ही कुछ संख्या में बटेर का पालन कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. गया में एक ऐसे ही युवा हैं जो पिछले 3 साल से बटेर पालन कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं.
तीन साल से कर रहे बटेर पालन
गया के परैया प्रखंड के उत्तरी बाजार परैया के रहने वाले कुमार गौतम कहते हैं कि तीन साल पहले अरवल जिले से बटेर का चूजा मंगवाया था. इसे बाद से इसका व्यवसाय शुरू किए. कुमार गौतम बताते हैं कि उन दिनों एक दिन के चूजा की कीमत 10 रुपया पीस हुआ करता था. अब 12 रुपए पीस मिलता है. बड़े साइज के बटेर की कीमत 65-70 रुपया है. आज इनके पास 2 हजार से अधिक बटेर उपलब्ध हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 24, 2023, 16:01 IST
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