झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी पर पारसनाथ पहाड़ियों या ‘मरंग बुरु’ पर “विभाजनकारी” राजनीति करने का आरोप लगाया. मुख्यमंत्री ने दावा किया कि राज्य में पहले कभी किसी धार्मिक स्थल को लेकर इस तरह का विवाद नहीं देखा गया. जैन समुदाय झारखंड सरकार द्वारा पहाड़ी को पर्यटन स्थल में तब्दील करने के फैसले का विरोध कर रहा है, जिसे वह अपने पवित्र स्थानों में से एक मानता है.
आदिवासी पारसनाथ पहाड़ी को सबसे पवित्र ‘जेहरथन’ (पूजा स्थल) मानते हैं. जहां केंद्र ने जैन समुदाय के लोगों के विरोध के बाद पारसनाथ पहाड़ियों में पर्यटन को बढ़ावा देने के झारखंड सरकार के कदम पर रोक लगा दी है, वहीं कई आदिवासी संगठनों ने पहले ही देशव्यापी आंदोलन की धमकी दी है, उन्होंने ‘मरंग बुरु’ को कथित जैन समुदाय के “चंगुल” से मुक्त कराने की मांग की है.
सीएम सोरेन ने गिरिडीह में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, धार्मिक स्थल पर राजनीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी. देश भर के जैन पारसनाथ पहाड़ियों को पर्यटन स्थल के रूप में नामित करने वाली झारखंड सरकार की 2019 की अधिसूचना को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, उन्हें डर है कि इससे उन यात्रियों का तांता लग जाएगा जो उनके पवित्र स्थल पर मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन कर सकते हैं.
पिछले महीने शुरू हुए पारसनाथ विवाद के पीछे केंद्र और भगवा पार्टी के एक “छिपे हुए एजेंडे” का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासी समुदाय को आश्वासन दिया कि ‘मारंग बुरु’ (सर्वोच्च शक्ति या देवता) वहां बने रहेंगे.