पाकुड़। संविधान दिवस भारतीय लोकतंत्र का एक ऐसा पर्व है, जो न केवल हमारे संवैधानिक इतिहास को याद करता है, बल्कि संविधान के महत्व और आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने का माध्यम भी बनता है। यह दिन हमें यह स्मरण कराता है कि भारतीय संविधान न केवल एक कानूनी दस्तावेज है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता जैसे मूल्यों का संरक्षक है। 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया गया, जिसने भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में पहचान दिलाई। इस दिवस पर आयोजित कार्यक्रम केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि संविधान के आदर्शों को आत्मसात करने का अवसर हैं।
इसी उपलक्ष्य में आज, 26 नवंबर 2024 को झालसा रांची के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़ के तत्वावधान में संविधान दिवस का आयोजन किया गया। इस विशेष अवसर पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़, शेष नाथ सिंह की अध्यक्षता में कार्यक्रम संपन्न हुआ। संविधान दिवस भारतीय लोकतंत्र और संविधान के महत्व को रेखांकित करने का दिन है, और इसे पूरे देश में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।
संविधान की प्रस्तावना का वाचन और शपथ
इस कार्यक्रम के दौरान प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह ने संविधान की प्रस्तावना का वाचन करवाया। इस अवसर पर उपस्थित सभी न्यायिक पदाधिकारी, लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के कर्मी, मीडियेटर, पैनल अधिवक्ता, व्यवहार न्यायालय पाकुड़ के कर्मी और पैरा लीगल वॉलिंटियर्स ने संविधान के उद्देश्यों को अपने जीवन में उतारने और उन्हें लागू करने की शपथ ली। संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित न्याय, स्वतंत्रता, समानता, और बंधुता के मूलभूत आदर्शों को सभी ने आत्मसात करने का संकल्प लिया।
संविधान के उद्देश्यों पर चर्चा
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह ने संविधान के उद्देश्यों और प्रस्तावना की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने संविधान में निहित मूल्यों जैसे सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय, और राजनीतिक न्याय को समझने और उनके प्रति जागरूक रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह समाज को एकजुट रखने और नागरिकों को अधिकार व कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने का माध्यम है।
एकता और भाईचारे का संदेश
इस अवसर पर न्यायाधीश ने समाज में एकता और भाईचारा बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सभी को संविधान में उल्लिखित समानता और स्वतंत्रता के आदर्शों का पालन करने और इन्हें समाज में बढ़ावा देने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि संविधान की भावना को अपनाकर हम एक बेहतर समाज और राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति और योगदान
कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय सुधांशु कुमार शशि, स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष अशोक कुमार शुक्ला, अन्य न्यायिक पदाधिकारी और न्यायालय कर्मियों ने भाग लिया। इन सभी ने संविधान दिवस की महत्ता को रेखांकित करते हुए इसे जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया। इस आयोजन ने संविधान को आम जनता तक पहुँचाने के लिए विधिक सेवा प्राधिकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाया।
संविधान दिवस का महत्व
यह दिन भारत के नागरिकों को यह याद दिलाने का अवसर है कि संविधान में उल्लिखित आदर्श केवल लिखित शब्द नहीं हैं, बल्कि यह हमारे सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन को दिशा देने वाले मार्गदर्शक सिद्धांत हैं। कार्यक्रम ने न केवल न्यायिक पदाधिकारियों बल्कि उपस्थित कर्मियों और पैरा लीगल वॉलिंटियर्स के भीतर संविधान के प्रति सम्मान और जागरूकता को बढ़ावा दिया।
संविधान के प्रति समर्पण
कार्यक्रम का समापन संविधान के प्रति निष्ठा और समर्पण की भावना के साथ हुआ। सभी ने यह प्रतिज्ञा की कि वे संविधान के आदर्शों को अपने कार्यक्षेत्र और निजी जीवन में लागू करेंगे और समाज में न्याय, समानता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों को बढ़ावा देंगे। इस तरह, यह आयोजन संविधान दिवस की मूल भावना को जीवंत बनाने में सफल रहा।