Friday, February 21, 2025
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फसल बीमा योजना में सुधार पर जोर, उपायुक्त ने दिए सख्त निर्देश

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पाकुड़: जिले में किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का अधिकतम लाभ देने और इसके क्रियान्वयन में सुधार लाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर सक्रियता बढ़ा दी गई है। इसी क्रम में गुरुवार को उपायुक्त मनीष कुमार की अध्यक्षता में बिरसा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (खरीफ) 2024 के कार्यान्वयन और निगरानी के लिए जिला स्तरीय अनुश्रवण समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में योजना के प्रभावी क्रियान्वयन, त्रुटियों के सुधार और किसानों को समय पर बीमा का लाभ दिलाने पर विशेष चर्चा की गई


किसानों को सही तरीके से मिले बीमा का लाभ

बैठक के दौरान उपायुक्त ने स्पष्ट निर्देश दिया कि जिले के योग्य किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का पूरा लाभ मिले। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि बीमा से जुड़ी सभी प्रक्रियाएं पारदर्शी हों और इसमें किसी भी प्रकार की अनियमितता को सख्ती से रोका जाए

उपायुक्त ने कहा कि बीमा कंपनियों को किसानों के आवेदन की बारीकी से जांच करनी चाहिए ताकि गलत तरीके से बीमा कराने के मामलों को रोका जा सके। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि किसानों को बीमा दावा राशि समय पर मिले


बीमित क्षेत्र और फसल आच्छादन में गड़बड़ी की जांच

जिला सहकारिता पदाधिकारी चंद्रजीत खलखो ने बैठक में बताया कि खरीफ 2024 में पाकुड़ जिले में धान फसल का कुल आच्छादन 40,266 हेक्टेयर है, जबकि बीमित क्षेत्र 1,15,409.52 हेक्टेयर दर्ज किया गया

इस आंकड़े में पाया गया कि कई गैर-ऋणी किसानों ने अपनी भूमि का आकार एकड़ के बजाय हेक्टेयर में दर्ज कर दिया था, जिससे बीमित क्षेत्र वास्तविक क्षेत्र से 75,143 हेक्टेयर अधिक हो गया। बजाज एलियांज बीमा कंपनी द्वारा इस त्रुटि की पहचान की गई और सही आंकड़ों को संशोधित किया गया।

संशोधन के बाद पाकुड़ जिले में धान फसल हेतु कुल बीमित क्षेत्र 39,229.10 हेक्टेयर रह गया, जो कि वास्तविक बोए गए क्षेत्र 40,266 हेक्टेयर से कम है


मकई फसल के बीमा में भी पाई गई अनियमितता

बैठक में मकई फसल बीमा से जुड़ी गड़बड़ियों पर भी चर्चा हुईलिट्टीपाड़ा प्रखंड में कुल 1,576 हेक्टेयर और पाकुड़ प्रखंड में 190 हेक्टेयर क्षेत्र में मकई बोई गई थी, लेकिन बीमा आंकड़ों में लिट्टीपाड़ा में 3,928.58 हेक्टेयर और पाकुड़ प्रखंड में 3,666.64 हेक्टेयर दर्ज किया गया था

बजाज एलियांज बीमा कंपनी ने त्रुटियों की जांच के बाद अंतिम रूप से लिट्टीपाड़ा में 1,574.40 हेक्टेयर और पाकुड़ में 189.88 हेक्टेयर बीमा को स्वीकृति दी, जो कि आच्छादन क्षेत्र की सीमा के अंतर्गत है

अन्य चार प्रखंडों हिरणपुर, महेशपुर, अमड़ापाड़ा और पाकुड़िया में बीमा क्षेत्र और वास्तविक फसल आच्छादन में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई


146,690 किसानों ने कराया था बीमा, 93,024 को मिली स्वीकृति

बैठक में बताया गया कि खरीफ 2024 के दौरान जिले में कुल 1,46,690 किसानों (1,33,349 धान हेतु और 13,341 मकई हेतु) ने बीमा कराया था

शुरुआती जांच में बीमित रकवा 1,26,386.15 हेक्टेयर (1,15,409.52 हेक्टेयर धान और 10,976.62 हेक्टेयर मकई) दर्ज किया गया। लेकिन बीमा कंपनी द्वारा की गई QC (क्वालिटी चेक) और डुप्लीकेसी जांच के बाद 93,024 किसानों (84,421 धान हेतु और 8,603 मकई हेतु) के बीमा को स्वीकृति दी गई

संशोधित आंकड़ों के अनुसार, बीमित क्षेत्र अब 43,164.25 हेक्टेयर (39,229.10 हेक्टेयर धान और 3,935.15 हेक्टेयर मकई) रह गया है


बीमा कंपनियों को मिली चेतावनी, पारदर्शिता बनाए रखने के निर्देश

उपायुक्त ने स्पष्ट निर्देश दिया कि यदि भविष्य में बीमा से जुड़े आंकड़ों में कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो इसके लिए बीमा कंपनी पूरी तरह से जिम्मेदार होगी। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को सभी आवेदनों की गहन जांच सुनिश्चित करने और किसानों को सही आंकड़ों के आधार पर बीमा का लाभ देने का निर्देश दिया

उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को सही जानकारी देने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाए, ताकि वे बीमा आवेदन सही तरीके से भर सकें और भविष्य में ऐसी त्रुटियां न हों।


बैठक में शामिल अधिकारी

बैठक में अपर समाहर्ता, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला सहकारिता पदाधिकारी, जिला मत्स्य पदाधिकारी, लैम्पस के प्रतिनिधि और बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे

बैठक के अंत में उपायुक्त ने कहा कि किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ पारदर्शिता और सटीकता के साथ मिलना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि भविष्य में कोई भी त्रुटि न हो और किसानों को बिना किसी परेशानी के बीमा राशि प्राप्त हो

यह बैठक जिले में फसल बीमा योजना के प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

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