भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शाम पांच बजे निकली। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी भगवान जगन्नाथ से आशीर्वाद लेकर रथ खींची। दोनों पारंपरिक वस्त्र में नजर आये और जय जगन्नाथ का जयघोष भी किया। राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा की विधिवत पूजा की। भगवान का आशीर्वाद लेने सांसद संजय सेठ, विधायक नवीन जयसवाल सहित अन्य श्रद्धालु काफी संख्या में उपस्थित थे।
जय जगन्नाथ का जयघोष करते सीएम और राज्यपाल
रथ यात्रा की शुरुआत राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने की
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय भी पूजा में शामिल हुए। रथ यात्रा की शुरुआत से पहले 551 श्रद्धालुओं ने एक साथ पूजा की। रथ विशेष तौर पर तैयार किया गया था जिसकी चौड़ाई 35 फीट और ऊंचाई 45 फीट है। रथ सजाने के लिए सारे वस्त्र पूरी से आये हैं। पूरी से भी 10 कारिगर आये हैं।
हल्की- हल्की बारिश के बाद भी मेले में खूब भीड़ नजर आयी। लोगों में उत्साह दिखा जय जगन्नाथ के जयघोष के साथ रथयात्रा की शुरुआत हुई। पिछले 333 सालों से रथ यात्रा निकाली जा रही है। यहां की रथ यात्रा का भी विशेष महत्व है।भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार हो कर मौसीबाड़ी पहुंचें हैं । 29 जून को भगवान वापस लौटेंगे।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजार
पूरे मेला परिसर में 54 सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जा रही है। अहम रास्तों पर पर मंदिर में भी कैमरे लगे हैं।जगन्नाथपुर मंदिर के समीप स्थित स्कूल में कंट्रोल रूम है जहां से नजर रखी जा रही है। फायर बिग्रेड, वज्र वाहन आदि की भी व्यवस्था आपात स्थिति से निपटने के लिए की गयी है। मेला को देखते हुए 16 जगहों पर ड्रॉप गेट बनाया गया है। इस रास्ते पर जाने से पहले आपको समझ लेना होगा कहां और किस रास्ते से जाना आपके लिए बेहतर होगा।
हर साल लगता है मेला
भगवान श्री जगन्नाथ अपने मौसी के यहां अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ 10 दिनों के प्रवास में आते हैं। इसके साथ ही यहां मेले की शुरुआत हो जाती है। जगन्नाथ पूजा के दौरान धुर्वा इलाके में विशाल मेला लगता है। बड़े बड़े झूले और सामानों के साथ कोलकाता, ओड़िशा , बिहार , छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों से व्यापारी इस मेले में पहुंचते हैं। मेले में खासकर हथियार और ग्रामीण अर्थव्यस्था से जुड़े सामान मिलते हैं। मेले में देशज और पारंपरिक चीजें खूब बिकती है।
क्या होता है खास
इस मेले में मांदर, नगाड़ा, ढाक और ढोलक भी मिलते हैं कीमत 2500 से लेकर 7000 रुपये से ज्यादा तक जाती है। मेले में मिठाई भी मेले वाली शक्कर पाला और बालूशाही 120 से 140 रुपये प्रति किलो की कीमत के आधार पर बिक रहे हैं लोहा और स्टील के बर्तन, परंपरागत औजार, घरेलू साज-सज्जा की चीजें भी मेले में खूब मिलती है।
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