Wednesday, May 21, 2025
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धार्मिक यात्रा पर रवाना हुए श्रद्धालु, धर्म जागरण पाकुड़ परिवार ने किया सम्मान

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श्रद्धालुओं को किया गया सम्मानित

धर्म जागरण पाकुड़ परिवार द्वारा एक भावपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन कर हरिद्वार, ऋषिकेश, केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री एवं गंगोत्री जैसे पावन तीर्थ स्थलों के लिए रवाना हो रहे 9 श्रद्धालुओं को ससम्मान विदा किया गया। कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं को माला पहनाकर, बोलबम स्मारिका प्रदान की गई। साथ ही उन्हें यात्रा के दौरान उपयोगी नाश्ता एवं पेयजल सामग्री भी भेंट की गई। यह पूरा आयोजन एक उत्सव की तरह दिखाई दिया, जहां उपस्थित जनों ने भक्ति और सेवा की भावना से कार्यक्रम को सफल बनाया।


पारिवारिक सदस्यों ने निभाई सक्रिय भूमिका

इस आयोजन में धर्म जागरण पाकुड़ परिवार के कई प्रमुख सदस्यों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। कार्यक्रम का नेतृत्व सचिव विश्वनाथ भगत ने किया, जबकि कोषाध्यक्ष सुनील तोला ने व्यवस्थाओं का समुचित संचालन किया। इसके अलावा ललन भगत, सीताराम पटवा, कन्हैया रजक, साधन रजक तथा नीलू चटर्जी सहित दर्जनों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने आयोजन को और भी गरिमामयी बना दिया।


श्रद्धालुओं को दी गई मंगलकामनाएं

कार्यक्रम के दौरान धार्मिक भावना से ओतप्रोत सभी लोगों ने एकजुट होकर श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं। संजय चौबे, हरीश कुमार, तन्मय मंडल, प्रवीण यादव, जय सिंहा, मेघदूत घोष, सुभाष गुप्ता, विशुदेव और संजीत मुखर्जी को पुष्पमालाएं पहनाकर तथा स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। विदाई के समय हर हर महादेव और बोलबम के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो गया।


आस्था और सेवा का संगम

इस अवसर पर देखा गया कि धर्म जागरण पाकुड़ परिवार न केवल धार्मिक जागरूकता फैलाने का कार्य करता है, बल्कि समाज के लिए सेवा और सहयोग की भावना भी जीवंत करता है। श्रद्धालुओं की चारधाम यात्रा एक धार्मिक कर्तव्य ही नहीं, बल्कि समाज में आध्यात्मिकता के प्रसार का माध्यम भी बनती है। इस तरह के आयोजन लोगों के बीच सांस्कृतिक एकता और धार्मिक समर्पण की भावना को और अधिक मजबूत करते हैं।


समर्पण और संगठन की मिसाल

कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों ने धर्म जागरण परिवार के समर्पण की सराहना की और इस प्रकार के आयोजनों को समाज के लिए प्रेरणास्रोत बताया। सभी ने कामना की कि श्रद्धालु सुरक्षित यात्रा करें, और धार्मिक स्थलों के दर्शन के पश्चात नव ऊर्जा एवं शांति लेकर लौटें।


यह आयोजन न केवल एक धार्मिक यात्रा की शुरुआत थी, बल्कि समाज में धर्म, एकता, सेवा और सहयोग की भावना को भी पुनर्स्थापित करने का प्रयास था।

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